नई दिल्ली: देश भर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जहां देशभर में संक्रमित मरीजों की संख्या 7500 के पार पहुंच गई है वहीं 240 लोगों से ज्यादा की कोरोना वायरस की वजह से जान गवा चुके हैं. लेकिन इन सबके बीच देश की राजधानी से सटे नोएडा में तस्वीर थोड़ी बेहतर लग रही है. नोएडा जो शुरुआत में उत्तर प्रदेश में सामने आए मामलों के एपीसेंटर के तौर पर सामने आया था आज की तारीख में यहां पर गिने-चुने मामले ही सामने आ रहे हैं जो पूरे देश की तस्वीर से अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं.


नोएडा में पिछले 6 दिनों में बढ़े सिर्फ 6 मामले


मार्च के आखिरी सप्ताह तक आते-आते नोएडा उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस एपी सेंटर बन गया था. सबसे ज्यादा मामले यहीं से सामने आए थे. शुरुआती तौर पर सबसे ज़्यादा मामले सीज़ फायर कंपनी के कर्मचारियों के सामने आए थे. इस कंपनी के कई कर्मचारी विदेशी दौरों से वापस आए थे. शुरुआत में वो संक्रमित हुए और उसके बाद में उनके संपर्क में जो लोग आते गए वह भी संक्रमित होते गए. इसकी वजह से अचानक मामले बढ़ने लगे.


मार्च के आखिरी सप्ताह से लेकर अप्रैल के पहले सप्ताह यानी 4 अप्रैल तक नोएडा में मामलों की संख्या 58 तक पहुंच गई. वहीं 6 अप्रैल तक ये संख्या 61 और 9 अप्रैल तक 63 हुई और 10 अप्रैल को एक और मामला बढ़ा और ये संख्या 64 पहुंच गई. यानी 4 अप्रैल से लेकर 10 अप्रैल के बीच सिर्फ 6 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए. यानी पिछले 6 दिनों में 6 मामले सामने आए वह भी ऐसे हालात में जब रोजाना देशभर में मामले बढ़ते जा रहे हैं.


शुरुआत में हुई चूक और गलती को सुधारा


नोएडा प्रशासन की माने तो शुरुआत में जब मामले सामने आए तो उसके बाद प्रशासन ने और ज्यादा तेजी से काम करना शुरू किया. नोएडा के डीएम के मुताबिक यह वायरस नया था लिहाज़ा शुरुआत में समझने में थोड़ा वक्त लगा. लेकिन धीरे-धीरे प्रशासन को भी समझ में आ गया कि आखिर अचानक बढ़े इन मामलों में चूक कहां हुई. प्रशासन ने सबसे पहले ऐसे लोगों की पहचान शुरू की जो पूर्व संक्रमित थे या जो लोग उनके संपर्क में आए थे. उसके बाद करोना संक्रमित और उनके संपर्क में आए लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया यानी कि उनकी पहचान कर उनको अलग रखा गया. और फिर जैसे-जैसे लोगों में लक्षण सामने आए उस आधार पर उनको इलाज मुहैया कराया गया.


नोएडा अथॉरिटी ने भी दिया योगदान


इसके साथ ही नोएडा अथॉरिटी ने यह सुनिश्चित किया कि लोग अपने घरों में ही रहे. प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लोगों की घोषणा की तो लोगों से भी अपील की कि वह अपने घरों में रहे. नोएडा अथॉरिटी ने लोगों को घर बैठे या घर के आस-पास किसी नजदीकी जगह पर सामान पहुंचाने की व्यवस्था की. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि लोगों को सामान की किल्लत ना हो जिसकी वजह से उनको परेशानी का सामना करना पड़े. नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रितु माहेश्वरी के मुताबिक ज़ोर इस बात पर भी दिया गया कि जगह-जगह साफ-सफाई और सैनिटाइजेशन का काम भी सुचारू रूप से होता रहे जिससे की संक्रमण को और ज्यादा फैलने से रोका जा सके.


हॉटस्पॉट को चिह्नित कर सील किया


इस दौरान प्रशासन ने लोगों के साथ ही ऐसी जगहों को भी चिन्हित किया जहां कोरोना संक्रमित या संदेह के घेरे में आ रहे लोगों के साथ आ मामले सामने आ रहे थे. ऐसे हॉटस्पॉटों की पहचान कर उनको सील किया गया. मतलब ना तो कोई ऐसे इलाकों में बाहर से अंदर जाएगा और ना ही अंदर से बाहर आएगा.अगर किसी को कोई सामान चाहिए तो वह उसको उसके घर के आस-पास ही मुहैया कराया जाएगा.


कोरोना संक्रमित मरीजों की सँख्या में कम से कम हो बढ़ोत्तरी के प्रयास में जुटा नोएडा प्रशासन


इस तरह से जो नोएडा 1 हफ्ते पहले तक उत्तर प्रदेश के कोरोना केसेज़ का एपी सेंटर बना हुआ था वह अचानक एक सक्सेस स्टोरी के तौर पर सामने आ रहा है. क्योंकि यहां पर मामले अगर कम नहीं हो रहे तो बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ भी नहीं रहे. 6 दिनों में 6 मामले बढ़ना इस बात की तस्दीक भी करता है हालांकि अभी भी सैंकड़ों लोग संदेह के घेरे में हैं लिहाज़ा उनको क्वॉरेंटाइन किया गया है. फिलहाल नोएडा प्रशासन इस कोशिश में जुटा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वक्त रहते हैं उचित इलाज मिले और वह कोरोना वायरस से जंग जीतकर स्वस्थ हो जाएं. जिससे नोएडा में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आनी शुरू हो. हालांकि लड़ाई लंबी है और इसमें सभी का सहयोग जरूरी है.


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