जानें, देश के पहले कोरोना क्लस्टर आगरा में कैसे थमा कोरोना वायरस का कहर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी की तारीफ
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने को लेकर आगरा मॉडल की तारीफ की है. इस महामारी को रोकने के लिए आगरा प्रशासन ने क्या कदम उठाए इस खबर में आप जान सकते हैं.
नई दिल्ली: इस समय देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल की काफी चर्चा हो रही है लेकिन आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के आगरा मॉडल की काफी तारीफ की. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश का पहला कोरोना क्लस्टर आगरा में ही बना था जिसके बाद आगरा प्रशासन हरकत में आया और यहां बने हॉटस्पॉट को खत्म किया. इसके लिए स्मार्ट सिटी के लिए बनाए गए वॉररूम को कोरोन वॉर रूम में तब्दील किया गया और सख्त कंटेनमेंट प्लान और लॉक डाउन यहां लागू किया गया.
आगरा में कुल 92 मामले सामने आए थे जिसमें से 5 ठीक हो चुके हैं जबकि 87 की हालत स्थिर है. वहीं 38 ऐसे क्लस्टर के ऑफिस इंटर में से 10 पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. इसके सब के लिए आगरा प्रशासन ने कई कड़े कदम उठाए.
- तुरंत इंटेग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर जोकि आगरा स्मार्ट सिटी के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया था उसे कोविड-19 बोर्ड रूम में तब्दील कर दिया.
- सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट हेल्पलाइन बनाई गई
- पूरे जिले के लिए multi-functional डिस्ट्रिक्ट टीम बनाई गई
- आगरा के एसएसपी और एसपी ट्रैफिक की निगरानी में लोग डाउन किया गया और क्लस्टर वाले इलाकों में आने-जाने पर रोक लगाई.
- क्लस्टर वाले इलाके में खाने की सप्लाई ना रुके इसके लिए भी इंतजाम किए गए और डोर स्टेप डिलीवरी के बंदोबस्त किए गए.
- क्वारांटिन और आइसोलेशन फैसिलिटी तैयार की गई.
- इसके बाद वो तुरंत कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कराई गई.
कैसे हॉटस्पॉट की ट्रेसिंग की गई
आगरा में पहला मामला कहां से आया सबसे पहले ये जाने के लिए प्रशासन इसमें जुट गया. जिसके बाद प्रशासन को पता चला 25 फरवरी वो पहला संक्रमित शख्स इटली से दिल्ली में आया. उसी दिन वो व्यक्ति दिल्ली से आगरा अपने घर और फैक्ट्री गया. यही दिनचर्या उसकी रोज़ कि थी. 28 और 29 फरवरी को वो संक्रमित व्यक्ति रेस्टोरेंट और फैक्ट्री गया. उसके बाद अगले दो दिन घर पर रहने के बाद वो 2 मार्च को अस्पताल गया जहां वो कोरोना वायरस से संक्रमित है ये बात पता चली. कुछ इस तरह से क्लस्टर वाले इलाकों में आगरा प्रशासन ने कांटेक्ट ट्रेसिंग की और तुरंत कंटेनमेंट प्लान तैयार किया. संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क आए सभी लोगों को क्वारांटिन किया गया.
कंटेनमेंट प्लान
इसके बाद से आगरा प्रशासन ने तुरंत कंटेनमेंट प्लान लागू किया. संक्रमित व्यक्ति जिस जगह रहता था उसके 3 किलोमीटर के दायरे को कंटेनमेंट एरिया मार्क किया गया. वहीं उसके 5 किलोमीटर बाहर के दायरे को बफर जोन. तुरंत 1248 टीम बनाई गई जिसमें एएनएम और आशा वर्कर्स के साथ मेडिकल स्टाफ शामिल किया गया. इन मेडिकल टीम ने 165060 घरों में जाकर 930651 लोगों की स्क्रीनिंग और चेकिंग की. जिसमें से 2500 लोगों में खासी जुकाम और बुखार के लक्षण दिखाई दिए. जिसमें से 36 लोग हाल में विदेश यात्रा से लौटे थे. इन सभी लोगों को और अनटीन और आइसोलेशन में रखा गया.
आगरा प्रशासन ने हर संभव कोशिश की ताकि कोरोना का संक्रमण ना फैले. लगातार बढ़ते मामलों को देखते ही पूरा प्रशासन हरकत में आया और देश में सबसे पहले सामने आए क्लस्टर को रोका. खुद स्वास्थ्य मंत्रालय मानता है की देश में आगरा मॉडल से बेहतर है जहां लोगों को बिना परेशानी क्लस्टर को खत्म कर दिया.