नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से देश मे लॉकडाउन है. ऐसे में बहुत बड़ी संख्या है लोगों की जिनको राशन और खाना नहीं मिल पा रहा है. देश में लॉकडाउन को तकरीबन 20 दिन हो गए ऐसे में गरीब और मजदूर तबके के लोगों के लिए 2 वक़्त का खाना मिलना बेहद मुश्किल हो रहा है. लॉकडाउन के वक्त में समाज के कुछ लोग, गरीब लोगों को पेट भर खाना पहुंचाने के लिए सामने आए हैं, जिनको जितना सराहा जाए कम है. ऐसे लोगों को लॉकडाउन के हीरोज कहना गलत नहीं होगा.
नोएडा के रहने वाले राजेश चमोली ने पन्द्रह साल इंडियन नेवी में भारत की सेवा करने के बाद, तकरीबन 2 महीने पहले नोएडा में क्लेपॉट कूज़ीन नाम से अपना एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला. रेस्टोरेंट खुलने के कुछ दिन बाद ही पूरे देश में कोरोना संकट आ गया और अब तकरीबन 20 दिनों से लॉकडाउन है. ऐसी स्थिति में राजेश चमोली ने अपने रेस्टोरेंट को किचन में तब्दील कर दिया और उसी किचन से रोज ऐसे लोगों को खाना पहुंचाना शुरू किया जिनको दिन में एक टाइम का खाना भी नसीब नहीं होता था.
रेस्टोरेंट के लिए राजेश ने जिन लोगों को रखा था उनमें से दो लोग नेपाल के थे, वह काम छोड़कर वापस अपने घर चले गए. राजेश के पास ना तो कुक था और ना ही टीम. राजेश ने मन में ठान लिया था कि ऐसी कठिन स्थिति में पीछे तो नहीं हटना है और लोगों की सेवा करनी है. उन्होंने अपने दोस्तों के सहयोग से यह शुरू किया.
उन्होंने अपने किचन के लिए कुक को फरीदाबाद से नोएडा बुलवाया और उसके रहने और खाने का इंतजाम किया. प्रशासन का इस नेक काम में काफी बड़ा सहयोग है. राजेश ने बताया कि उन्होंने जाकर प्रशासन के उच्च अधिकारियों से बात की और उनसे परमिशन ली कि वह अपने इलाके में जाकर जरूरतमंदों को खाना देंगे. प्रशासन ने भी इस काम में मदद करते हुए परमिशन दे दी.
किचन में सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए सभी लोग बारी-बारी से साफ सफाई का पूरा ख्याल रखते हुए खाना बनाना शुरू करते हैं. सुबह 8:00 बजे से ही पूरी टीम रेस्टोरेंट पहुंच जाती है. एक पैकेट में इतना खाना डाला जाता है कि एक व्यक्ति एक टाइम पेट भर खाना खा सके. पूरी टीम इस बात का खास ख्याल रखती है कि सही वक्त से लोगों को खाना पहुंचाया जा सके इसीलिए ठीक 12:00 बजे पूरी टीम गाड़ी में खाने के सारे पैकेट्स रखकर रेस्टोरेंट से रवाना हो जाती हैं. रास्ते में जो जरूरतमंद मिलते हैं उनको भी खाना दिया जाता है.
राजेश चमोली और उनकी टीम जैसे ही नोएडा की एक झुग्गी झोपड़ी में खाना लेकर पहुंचती है तुरंत ही लोग उनकी गाड़ियों को देखकर भागे चले आते हैं. इन तस्वीरों को भूख से बेबसी का मंज़र कहे तो गलत नहीं होगा. इन लोगों को देखते ही ना सिर्फ इंसान बल्कि जो आसपास पशु थे वह भी दौड़े चले आए. पूरी टीम ने बच्चों को बिस्किट के पैकेट हर व्यक्ति को खाने का पैकेट बाटा. तो वहीं पशुओं को अलग से खाना खिलाया. खाना देते वक्त लोगों से सामाजिक दूरी का पालन भी करवाते हैं.
राजेश नो बताया, " मैं अपने दोस्तों का धन्यवाद करना चाहता हूं. उनकी मदद के बिना यह कुछ भी संभव नहीं था. पहले दिन 101 लोगों से शुरू किया था. कल 270 लोगों को खाना खिलाया और आज 300 लोगों को खिलाएंगे रोज कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना खिलाएं. मेरा भी परिवार है और वो मुझे सपोर्ट कर रहा है. उन्होंने कहा कि जाते ही सबसे पहले अपने आपको सैनेटाईज करता हूं, उसके बाद ही परिवार से मिलता हूं.
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