पटना: जिस रेल की पटरी ने कुछ महीने पहले कुछ महीने पहले जीवन को पटरी पर लाया था आज उसी रेलवे ट्रैक को पकड़कर घर लौट रहे मजदूरों की ज़िंदगी पटरी से उतर गई है.
जिस ट्रेन से ये मजदूर, लेबर और मिस्त्री का काम कर अपना गुज़र बसर करने गए थे आज उस ट्रेन ने भी साथ छोड़ दिया. अब आलम ये है कि मजदूर रेल की पटरियों के सहारे ही यूपी के गोरखपुर से बिहार के नरकटियागंज में अपने गांव औसानपुर के लिए निकल पड़े हैं.


लॉकडाउन होने की स्थिति में लोग रेल की पटरी को अपना रास्ता मान गोरखपुर से सुबह 6:00 बजे पैदल चले. दूसरे दिन दोपहर को रास्ते में जब उन्हें भूख लगी तो वह बिस्कुट खाकर रह गए और जब रात हुई तो सिसवा स्टेशन पर जो कि उत्तर प्रदेश में है वहां सो गए.


हैरानी की बात यह थी की राज्य सरकार और प्रधानमंत्री की घोषणा के बावजूद कोरोना वायरस को लेकर जांच नहीं हो रही थी. मजदूरों की गोरखपुर से लेकर बगहा तक के बीच में कहीं भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच नहीं की.इन मजदूरों की संख्या सात है. अगर इनमें से कोई कोरोना वायरस से संक्रमित निकला तो स्थिति भयावह हो जाएगी.


नीतीश कुमार बोले- लोगों को बसों से भेजना गलत


कोरोना महामारी की वजह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि विशेष बस से लोगों को भेजना एक गलत कदम है. उन्होंने कहा कि इससे बीमारी और फैलेगी जिसकी रोकथाम और उससे निबटना सबके लिए मुश्किल होगा. जो जहां हैं उनके लिये रहने खाने की व्यवस्था वहीं की जा रही है. यह फैसला लॉकडाउन को पूरी तरह फेल कर देगा. नीतीश कुमार ने सुझाव दिया कि स्थानीय स्तर पर ही कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम किया जाए.

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर से हजारों की संख्या में लोग अपने घर जाने के लिए पैदल निकल रहे हैं. इसे देखते हुए यूपी सरकार ने 200 बसों का इंतजाम किया है, ये बसें नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटों में रवाना होंगी. इन बसों में ज्यादातर पूर्वांचल और बिहार के यात्री हो सकते हैं. कई दिनों से परेशानी झेल रहे इन यात्रियों के लिए राहत वाली बात हो सकती है लेकिन सच्चाई ये भी है कि इन यात्रियों में अगर कोई भी संक्रमित हुआ तो बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है.



Coronavirus: नीतीश कुमार बोले- लोगों को बसों से भेजना गलत, बीमारी फैलेगी और फेल हो जाएगा लॉकडाउन



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