रांची: पूरे देश में कोरोना की जिस तरह की स्थिति है उसकी वजह से दिन ब दिन मरीज बढ़ते जा रहे हैं. मरीजों की संख्या जैसे जैसे बढ़ रही है उसी के मुताबिक आइसोलेशन वार्ड की भी जरूरत बढ़ती जा रही है. आपने सुना होगा कि देश में अलग-अलग हिस्सों में होटल से लेकर अन्य चीजों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया गया है. रेलवे ने भी इसको लेकर खास तैयारी की है.


दरअसल रेलवे ने इन ट्रेन के डिब्बों में चलते फिरते आइसोलेशन वार्ड बनाए हैं, यानी रेलवे ने उन डिब्बों को ही आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया है जिसमें हमने और आपने कई बार सफर किया होगा. रांची रेल डिवीजन ने कुल 62 ट्रेन के कोचों को कोरोना के आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिया है.


रांची रेल डिवीजन के CPRO नीरज कुमार ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि ये कोच सिर्फ 8 दिनों में तैयार किये हैंऔर हम इसको जरूरत के हिसाब से तैयार कर रहे हैं, 30 फीसदी कोच हम अगले 3 दिनों में राज्य सरकार को हैंडओवर करने की स्थिति में होंगे.


जिस तरह से कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं ऐसे में अगर ये बीमारी ग्रामीण सुदूर इलाकों में जाती है तो ऐसी जगहों पर अस्तपाल या आइसोलेशन वार्ड मिलना नामुमकिन है, ऐसे में रेलवे के जरिये तैयार किये जाने वाले ये कोच पटरियों पर दौड़ते छोटे अस्पताल होंगे, जिसकी मदद से हर उस इलाके में पहुंचा जा सकता है जहां ट्रेन की पटरियां जा सकती हैं. जब हमने रेलवे के उन कर्मचारियों से बात की जो ये कोच तैयार कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि देश के लिए घर से निकले हैं, और अब कोरोना को हराकर ही दम लेंगे.


रेलवे ने हर कोच के एक कूपे को एक मरीज के लिए तैयार किया है, हर कोच में 9 कूपे होते हैं, जिसमें कुल 72 सीटें होती हैं. हर कूपे से 2 सीटों को हटा दिया गया है जिससे मरीज को कोई दिक्कत न हो, कुल मिलाकर अगर 62 कोच के हिसाब से 9 कूपे देखें तो रेलवे ने कुल 558 चलते फिरते आइसोलेशन वार्ड तैयार कर दिया है जिसको किसी भी तरह से इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसको बनाने में 110 रेलवे के कर्मचारी लगे हुए हैं और जरूरत के मुताबिक इन वार्ड्स को कहीं भी ले जाया जा सकता है. सुदूर इलाकों के लिए रेलवे की ये तकनीक वरदान साबित हो सकती है.


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