उत्तर प्रदेश: सूबे के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एसपी गोयल पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा है. मामला बेहद गंभीर इसलिए है क्योंकि ये सीधे सीएम ऑफिस से जुड़ा है. योगी सरकार के विधायक लगातार अफसरशाही पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. हाल ही में दो जिलाधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया है. सवाल ये है कि क्या वाकई यूपी की अफसरशाही भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है?


पहले बात प्रिंसिपल सेक्रेटरी की. एसपी गोयल सूबे के सबसे ताकतवर आईएएस हैं. उन पर 25 लाख घूस मांगने का आरोप है. राज्यपाल ने जांच के लिए सीएम को चिट्ठी भी लिखी लेकिन काफी वक्त बीत जाने के बाद भी ना तो जांच शुरू हुई और ना ही कोई कार्रवाई हुई.


प्रिंसिपल सेक्रेटरी पर घूस मांगने का आरोप, शिकायतकर्ता को जेल भेजने की तैयारी


गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की हार हुई तो मान लिया गया कि सपा-बसपा की सोशल इंजीनियरिंग काम कर गई लेकिन दबे स्वर में बीजेपी के विधायक और नेता मान रहे थे कि अफसरशाही में भ्रष्टाचार हार की वजह है.



कैराना-नूरपुर उपचुनावों में हार के बाद तो पार्टी के विधायकों ने सीधे कहना शुरू कर दिया कि लोगों के काम ब्लॉक, तहसील और थानों में नहीं हो रहे हैं. बेलगाम सरकारी कारिंदे ना तो पार्टी से जुड़े लोगों की सुनते हैं और ना ही विधायकों, मंत्रियों की.


योगी के अधिकारी पर लगा 25 लाख रुपये घूस मांगने का आरोप


ये बातें एकबारगी इसलिए भी ठीक लगती हैं क्योंकि जब से योगी मुख्यमंत्री बने हैं तभी से लगातार अफसरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटा जा रहा है, उनके तबादले किए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि काफी आईएएस-आईपीएस के काम से सीएम नाखुश हैं. कई बार मौके दिए गए हैं लेकिन फिर भी सुधार नहीं हो रहा है.


पिछले दिनों आईएएस-आईपीएस लॉबी के बीच जो पंगा हुआ उसे पूरे प्रदेश ने देखा. बुनियादी सुविधाओं के लिए जनता परेशान और हलकान है, चिलचिलाती गर्मी में अफसरों की चौखट पर खड़ी है लेकिन 'साहब' कभी बंगले पर होते हैं तो कभी 'व्यस्त'.


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हरदोई के गोपामऊ से बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने एबीपी न्यूज़ से कहा,"अफसरशाही में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार है, मैंने पिछले दिनों जो पोस्ट फेसबुक पर लिखी थी उसमें भी मैं यही कहना चाहता था. लोग परेशान हैं, किसी का कोई काम नहीं हो रहा है. हालांकि योगी जी ने अब कार्रवाई शुरू कर दी है, दो डीएम को सस्पेंड भी किया है. उम्मीद है ये लोग सुधरेंगे."


यूपी के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एबीपी न्यूज़ से बात कहते हुए कहा,"आपने देखा कि बीजेपी के ही मंत्री, विधायक सांसद कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार है. अब अगर आरोप लग रहे हैं, इतने लोग कह रहे हैं तो कुछ तो बात है ही. हाल ही में सीएम ने दो डीएम को सस्पेंड किया, चंदौली के आरटीओ को सस्पेंड किया, और भी कुछ लोगों को किया है. अभी जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी वाली बात है तो उसमें मैं यही कहूंगा कि बिना वजह कोई आरोप नहीं लगाता."


बीजेपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने कहा,"15 साल की सड़ी गली व्यवस्था है जिसे हम बदल रहे हैं. जहां शिकायत मिलती है कार्रवाई की जाती है. ताजा मामला प्रिंसिपल सेक्रेटरी वाला संदिग्ध है इसीलिए हमारी पार्टी की ओर से मामला दर्ज कराया गया था."


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा. सीएम योगी ने भी भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात कही थी. लेकिन हाल वही ढाक के तीन पात जैसा है. अब देखना होगा कि कौन सी रणनीति से योगी इस भ्रष्टाचार से निपट पाते हैं.


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