लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आधार कार्ड में गड़बड़ी कर पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन स्कीम के तहत मिलने वाले राशन में घोटाला करने के मामले में सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं.
अदालत ने रायबरेली के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह भी निर्देश दिया कि मामले की जांच पुलिस के क्षेत्राधिकारी (सीओ) स्तर के अधिकारी द्वारा करवाई जाए और जांच में जिला पूर्ति अधिकारी के दफ्तर एवं साइबर क्राइम ब्रांच का भी सहयोग लिया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय लाम्बा और जस्टिस संजय हरकौली की पीठ ने रायबरेली के चन्द्र किशोर पाण्डेय की याचिका पर दिए.
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याची के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि वह पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन स्कीम के तहत आने वाले लाभार्थियों के आधार कार्ड में अस्थायी बदलाव करते हुए राशन हड़प कर लेता था. याची की ओर से एफआईआर खारिज किए जाने की मांग करते हुए तर्क दिया गया कि डाटा फीडिंग में कोटेदारों का कोई रोल नहीं होता. याचिका में आगे कहा गया है कि इस मामले में लिप्त सरकारी अधिकारियों को बचाने के मकसद से उसे फंसाया गया है.
अदालत ने याची के खिलाफ ठोस साक्ष्यों के मिलने तक, उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. साथ ही अदालत ने मामले की जांच सीओ स्तर के अधिकारी से कराए जाने व मॉनीटरिंग पुलिस अधीक्षक रायबरेली द्वारा किए जाने के निर्देश दिए.
अदालत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की भूमिका पाए जाने पर उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जाए.
राशन घोटाले में अदालत ने सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच के आदेश दिए
एजेंसी
Updated at:
25 Sep 2018 09:10 AM (IST)
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आधार कार्ड में गड़बड़ी कर पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन स्कीम के तहत मिलने वाले राशन में घोटाला करने के मामले में सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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