अदालत ने कहा कि इस संबध में छह महीने में जरूरी कानून बनाया जाए. अदालत ने यह भी कहा कि कानून बनाते समय लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से आए सुझावों पर भी विचार किया जाये और जब तक इस दिशा में कानून नहीं बनता तब तक इन्हीं सुझावों पर अमल किया जाए.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय में चार जुलाई 2018 को हुई गुंडागर्दी के बाद घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए यह निर्देश जारी किये.
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