पटना: कोरोना वायरस को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को बिहार की जनता के नाम अपना संदेश भेजा था. इस संदेश पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कटाक्ष करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री ने कई जरूरी जानकारियां नहीं दी. इतना ही नहीं तेजस्वी ने यह भी बताया कि जो काम मुख्यमंत्री की चालीस टीम ने नहीं किया उससे ज़्यादा वो अकेले कर चुके हैं. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में जो चालीस लोगों की सेटअप किए गए थे वह महज़ तीन हज़ार लोगों से ही बात कर पाए जबकि उनका कार्यालय ने पांच दिनों में चार हजार लोगों की मदद के लिए फोन पर संपर्क किया.
तेजस्वी यादव ने बाकायदा प्रेस रिलीज़ ज़ारी कर कहा कि कोरोना की तुलना बाढ़ और सूखे से की जो सही नहीं है. उन्होंने नीतीश कुमार का धन्यवाद दिया कि उन्होंने 18वें दिन बिहार को संबोधित किया. बिहारवासी उत्सुकता से कोरोना के बचाव, उपचार, सावधानी और जागरूकता संबंधित सरकार द्वारा सामाजिक, प्रशासनिक और आर्थिक स्तर पर भी की गई तैयारियों को सुनने को बेताब थे. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री के संबोधन बाद बिहारवासी निराशा के भाव में थे क्योंकि अब भी अधिकांश शंकाएँ अस्पष्ट थी. मुख्यमंत्री ने इस महामारी की तुलना बाढ़ और सूखे से की थी, जो कि तथ्य नहीं है. कोरोना वायरस बाढ़ और सूखे के विपरीत एक वैश्विक स्वास्थ्य महामारी है इसलिए इससे निपटने के लिए अधिक गंभीर दृष्टिकोण और पहल की आवश्यकता है.
कई सवालों के जवाब नहीं मिले- तेजस्वी
तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने परीक्षण किट, पीपीई, मास्क, वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, दस्ताने, सैनिटाइज़र की स्टॉकपाइल और खरीद पर भी अद्यतन जानकारी प्रदान नहीं की. इस जानकारी की मांग पहले ही दिन से हम सभी, मीडियाकर्मी, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कर रहे थे. बिहार में कोरोना की जांच-परीक्षण देश में सबसे कम है. शारीरिक और सामाजिक दूरी के अलावा कोरोना परीक्षण ही अकेले इसके प्रसार को रोकने के लिए पहला कदम है.
हमारे कार्यालय ने हजारों लोगों के लिए व्यवस्था की- तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा 40 टीमों के साथ सेटअप किए गए कंट्रोल रूम द्वारा तीन-चार दिन में 3000 कॉल प्राप्त किए गए थे. यह मुट्ठीभर आंकड़ा ही देशभर में फंसे बिहारवासियों के लिए मदद के लिए उठाए कदमों पर सरकार की गंभीरता और मंशा पर सवाल उठा रहा है. हमारे कार्यालय ने ही पिछले पांच दिनों में 4000 से अधिक फ़ोन कॉल्स को अटेंड किया और पूरे देश में फंसे हजारों बिहारवासियों के लिए भोजन और राशन की व्यवस्था की. हम संबंधित राज्य सरकारों, वोलेंटियर्स और व्यक्तिगत संपर्कों के साथ समन्वय करके हज़ारों प्रवासियों की मदद कर रहे हैं जबकि मुख्य रूप से यह कार्य बिहार सरकार को करना चाहिए था.
चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी
दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने 119 पत्रों में 3453 प्रवासी बिहारियों की सूची मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को सौंपी. चिराग ने प्रेस में दिए अपने लिखित बयान में कहा कि लॉकडाउन में दूसरे प्रदेशो में फंसे 3453 बिहारवासियों को उनके रहने और खाने पीने की उचित व्यवस्था करने के संबंध में नीतीश कुमार जी को 119 पत्र लिख कर अवगत कराया. यह सभी पत्र दिल्ली बिहार भवन भेजा गया है. कार्यवाही के लिए और पार्टी के स्थानीय प्रदेश अध्यक्षों को भी भेज दिया गया है ताकि वह भी जो मदद कर सकें तो ज़रूर करें.
यह पत्र इस लिए ज़रूरी है ताकि सरकार को जानकारी मिले की कहां पर बिहारवासी मौजूद हैं और समस्या में है. उन्होंने कहा, ‘’मेरे कार्यालय 01123794071 पर कई साथियों ने इस संदर्भ में जानकारी दी है जिसको मैं साझा कर रहा हूं. आप में से भी जो कोई इनमें से किसी की मदद कर सके ज़रूर करें. सरकार अपना काम कर रही है लेकिन मदद से यह और बेहतर होगा.’’