मेरठ: पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के गढ़ कहे जाने वाले मेरठ में अपराध के ग्राफ का आसमान छूना नई बात नहीं है. प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में अपराधियों में पुलिस एनकाउन्टर्स के जरिए नकेल कसकर यह दावा किया गया कि वेस्ट यूपी में अपराध कम हो गया है, पर हकीकत कुछ और ही है. कुछ दिनों से मेरठ में अपराध का ग्राफ फिर से बढ़ने लगा है. बदमाश ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम देते दिख रहे हैं और पुलिस की चौकसी बदमाशों के आगे बौनी नजर आ रही है.


जातीय संघर्ष की घटनाओं पर पुलिस की सुस्ती


मेरठ के कपसाड़ गांव में एक मासूम से दुष्कर्म की वारदात के बाद जातीय हिंसा हुई. आरोपी दलित था. अगले दिन वारदात की शिकायत के लिए एसएसपी आफिस आते दलितों को नेशनल हाइवे पर दबंगों ने घेर लिया और उनकी पिटाई की. पुलिस इस मामले से निपट पाती उससे पहले ही उल्देपुर गांव में ठाकुर और दलितों के बीच संघर्ष शुरू हो गया. मामले की जड़ में दलित लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की घटना थी. समझौते के लिए ठाकुरों की चौखट पर गए. गांव में दोनों पक्षों के बीच जमकर पथराव हुआ और कई लोग घायल भी हुए. विवाद बढ़ गया और एक दलित छात्र रोहित मारा गया. पुलिस-प्रशासन के लिए यह मामला अभी भी खड़ा है.उल्देपुर के जातीय संघर्ष की शुरूआत छेड़छाड़ से हुई थी.


छेड़छाड़ की वारदातों के बाद चर्चा में मेरठ शहर


शहर के लिसाड़ीगेट इलाके की एक छात्रा को छेड़छाड़ के खौफ से घर में बंद होकर रहना पड़ा और उसकी पढ़ाई छूट गई. पुलिस इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने में नाकाम रही और पीड़िता जब किसी तरह बुर्का पहनकर एसएसपी आफिस पहुंची तो अफसरों से शिकायत के बाद मामला सामने आ सका. इलाके की पुलिस की भूमिका इस मामले में सवालों के घेरे में है. इसी तरह सरधना में छेड़छाड़ से आजिज 10वीं की छात्रा के आत्मदाह के मामले में राजनैतिक दबाब के तहत पुलिस की सुस्ती भी देखी गई. पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन लोगों के खिलाफ केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पीड़िता के परिवार को अस्पताल के वार्ड में पोस्टर लगाने पड़े. पीएम मोदी और एसएसपी को संबोधित पोस्टरों की तस्वीरें सामने आई. पीड़िता को दिल्ली रेफर किया गया और मामले की राष्ट्रीय फलक पर छाने के बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की.


हत्या की वारदातों से दहला शहर

मेरठ  के ब्रह्मपुरी में दिनदहाड़े अपनी बेटी के साथ जा रही नसरीन की बाइक सवार बदमाशों ने हत्या कर दी. पुलिस इस वारदात की अभी तक पहेली नहीं सुलझा सकी है और न ही किसी बदमाश के गिरेबां तक पुलिस के हाथ पहुंच पाए हैं. मेरठ के ही एक गांव में एक शराबी ने फावड़े से काटकर एक शख्स की हत्या कर दी और 5 लोगों को खूनी फावड़े से प्रहार कर बुरी तरह जख्मी कर डाला. पृष्ठभूमि में पाया गया कि आरोपी पहले भी कई लोगों को इसी तरह से अपनी सनक का शिकार बनाता रहा है, मगर पुलिस की कार्रवाई अगली वारदात के इंतजार में बैठी रही. इसी तरह ईद से ठीक एक दिन पहले लिसाड़ी गांव के अरसद को चाकुओं से गोदकर कत्ल कर दिया गया और वारदात के चश्मदीद मोहल्ले के लोग दबंगों का विरोध भी नहीं कर पाए. अरसद ने अपने घर में हमलावरों के घुसने का विरोध किया था. पीड़ितों के आरोप है कि दबंग परिवार के युवक हर रोज मोहल्ले की लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड़ करते थे. यह सिलसिला कई महीनों से जारी था, मगर पुलिस का बुनियादी नेटवर्क सोता रहा.


एनकाउंटर के बाद भी नहीं थम रहा अपरोधों का सिलसिला
प्रदेश में नई सरकार के आने के बाद यूपी पुलिस ने जमकर एनकाउन्टर्स किए. वेस्ट यूपी मे इनकी तादात सबसे ज्यादा रही. कई पुलिस अफसर तो इन एनकाउंटर्स की बदौलत सुपरकॉप कहे जाने लगे. मगर 2019 के चुनाव के नजदीक आते ही यह सिलसिला थम गया सा दिखता है. अब सुपरकॉप अफसर अच्छे जिलों में तैनाती के बाद सुस्ता रहे हैं और वेस्ट के जिले अपराध से कांप रहे हैं. हालात इतने बदतर हो चले है कि अब अपराधी पुलिस को चुनौती देने से भी पीछे नहीं हट रहे. मेरठ के गंगा खादर इलाके में अभी कुछ दिन पहले ही सादी वर्दी में शराब माफियाओं पर नकेल कसने गए थानेदार की AK-47 लूट ली गई. पुलिस से हिरासत में लिये गए आरोपी को छुड़ाने की कोशिश की गई. इस घटना में थानेदार की पिटाई भी हुई. कई घंटों की मशक्कत के बाद पुलिस लूटा गया असलाह बरामद कर सकी. चंद रोज पहले दिल्ली के तिमारपुर में 50 हजार के आरोपी को गिरफ्तार करने गई क्राइमब्रांच की स्वाट टीम नाकाम साबित हुई. ईनामी बदमाश ने टीम के प्रभारी को सीधे गोली मारी और पूरी टीम की मौजूदगी में गोलियां चलाता हुआ फरार हो गया.


एनकाउंटर्स के साथ खत्म हुई पुलिस की जमीनी पुलिसिंग


अपराधियों पर नकेल कसने के लिए प्रदेश सरकार ने अफसरों को सख्ती के आदेश दिए. अपराधियों पर लगाम लगाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है. शामली में जहरीली शराब से हुई मौतें गवाह है कि पुलिस की नाक के नीचे अवैध शराब के सौदागर मौजूद हैं और पुलिस लाचार है. दूसरे अवैध धंधों की हालत भी इसी तरह है.