इलाहाबाद: समाज में दलितों के साथ भेदभाव और उन्हें आरक्षण के ज़रिये बराबरी का अधिकार दिए जाने के मुद्दे पर पर देश भर में छिड़ी बहस के बीच साधू-संतों ने एक अनूठी पहल की है. सबसे ज़्यादा साधुओं और नागा सन्यासियों वाले जूना अखाड़े ने सनातनधर्मियों को समरसता का संदेश देने के लिए एक दलित युवक को संन्यास की दीक्षा दी है. इतना ही नहीं सभी तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में इस दलित की चादरपोशी- पट्टाभिषेक व दूसरी रस्में अदा कर उन्हें महामंडलेश्वर बनाए जाने का एलान भी किया है.
हालांकि औपचारिक पदवी कुछ दिनों बाद दी जाएगी. अखाड़ों के इतिहास में किसी दलित को संन्यास की दीक्षा देने के बाद उसे महामंडलेश्वर बनाए जाने का एलान पहली बार हुआ है. हालांकि इससे पहले कुछ आदिवासियों को महामंडलेश्वर जरूर बनाया गया है.
जूना अखाड़े के मुताबिक़ दलित को दीक्षा देकर जातियों में बंट रहे हिन्दू समाज को एक प्लेटफार्म पर आकर काम करने की नसीहत दी गई है. इस मौके पर यह भी संदेश दिया गया कि सनातन धर्म में सभी को मानवता के आधार पर बराबरी का दर्जा दिया गया है और जातियों के आधार पर समाज को बांटने का काम सिर्फ सियासी फायदे के लिए किया जाता है.
यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले दलित कन्हैया कुमार कश्यप संस्कृत में मास्टर डिग्री लिए हुए हैं और वह पिछले दो सालों से पंजाब के रहने वाले जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी पंचानन गिरि से जुड़े हुए हैं. पंचानन गिरि ने ही उन्हें दीक्षा दी है. स्वामी पंचानन वही संत हैं, जिन्होंने मुम्बई की सुखविंदर कौर उर्फ़ राधे मां को महामंडलेश्वर बनाया था. राधे मां उन्ही की शिष्या हैं.
संन्यास की दीक्षा देने के बाद दलित कन्हैया कुमार कश्यप का नाम बदलकर स्वामी कन्हैया प्रभुनंद गिरि कर दिया गया है. कन्हैया कश्यप जूना अखाड़े के इस कदम को खुद अपने व समूचे दलित समाज के लिए बड़ी उपलब्धि मानते हैं. हालांकि वह सिर्फ दलित होने के नाते नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर इस मुकाम तक पहुंचने की बात कह रहे हैं. उनके मुताबिक़ जूना समेत दूसरे अखाड़ों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनके जैसे दूसरे योग्य दलितों को भी संत समाज में शामिल होकर उन्हें सम्मान व पदवी दी जाएगी.
दलित कन्हैया कुमार का संन्यास दीक्षा व पट्टाभिषेक कार्यक्रम इलाहाबाद में संगम किनारे स्थित जूना अखाड़े के मौजगिरि आश्रम में हुआ. इस बारे में अखाड़ा परिषद का कहना है कि देश के मौजूदा हालात में जातियों में बंट रहे हिन्दू समाज में एकता व समरसता का संदेश देने के लिए इस तरह की पहल बेहद जरूरी थी.
साधू संतों के मुताबिक़ उनकी इस पहल का आने वाले दिनों में बड़ा असर देखने को मिल सकता है. दीक्षा व पट्टाभिषेक होने के बाद स्वामी कन्हैया प्रभुनंद गिरि बन चुके कन्हैया कश्यप यूपी के आजमगढ़ जिले के लक्ष्मणपुर गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने संस्कृत में मास्टर डिग्री लेने के साथ ही ज्योतिष की भी पढ़ाई की हुई है.