15 सालों से 'कुंए' को आशियाना बना रह रही है दलित महिला, आधार कार्ड पर पता है 'कुएं वाला घर'
बांदा जिले के नसेनी गांव में एक विधवा दलित महिला पिछले 15 सालों से एक 'कुएं' को आशियाना बनाकर अपनी बेटी के साथ रह रही है. कुएं में रहने की वजह से गांव के ग्रामीण उसे 'कबूतरी' उपनाम से पुकारने लगे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अभी हाल में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत गरीबों को घर देने में देश में खुद को 'नंबर वन' बताया है.
बांदा : बांदा जिले के नसेनी गांव में एक विधवा दलित महिला पिछले 15 सालों से एक 'कुएं' को आशियाना बनाकर अपनी बेटी के साथ रह रही है. कुएं में रहने की वजह से गांव के ग्रामीण उसे 'कबूतरी' उपनाम से पुकारने लगे हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अभी हाल में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत गरीबों को घर देने में देश में खुद को 'नंबर वन' बताया है. लेकिन, नरैनी तहसील क्षेत्र के नसेनी गांव में पिछले 15 साल से 'कुएं' को आशियाना बनाकर अपनी बेटी के साथ रह रही विधवा दलित महिला छोटी (50) सरकार के इस कथन की पोल खोल रही है.
मूलरूप से मध्य प्रदेश के अजयगढ़ संभाग के पांड़ेपुरवा की रहने वाली दलित महिला छोटी के पति की मौत के बाद उसके ससुरालीजनों ने उसे घर से निकाल दिया था. उसने अपनी छह माह की बेटी के साथ नरैनी तहसील के नसेनी गांव में शरण लिया और एक कुंए को घर मानकर रहने लगी. उसकी बेटी रोशनी अब 15 साल की हो गई है. उसे सरकार से आधार कार्ड भी मिला है, जिसमें पता 'कुएं वाला घर' लिखा है.
दलित महिला छोटी बताती है, "उसे कुछ साल पहले आवासीय भूखंड का पट्टा दिया गया था, लेकिन यह भूखंड कब्रिस्तान के बिल्कुल बगल में होने की वजह से वह वहां घर नहीं बना सकी. ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारियों की चौखट पर कई बार माथा टेक चुकी छोटी की किसी ने नहीं सुनी, और अब यह कुआं ही उसका आशियाना बन गया है."
ग्राम प्रधान जमील अंटा ने बताया, "पंचायत की तरफ से महिला को आवासीय भूखंड आवंटित किया गया था, लेकिन कब्रिस्तान के पास होने की वजह से उसने लेने से मना कर दिया. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत लाभान्वित करने का प्रस्ताव अधिकारियों को भेजा गया है, लेकिन अब तक धनराशि नहीं दी गई है."
गौरतलब है कि कुएं में रहने की वजह से ग्रामीण छोटी को अब 'कबूतरी' उपनाम से भी पुकारने लगे हैं. उसकी बेटी रोशनी पढ़ाई भी कर रही है, उसकी किताबें और बस्ता भी कुआं वाले घर में रखे हुए हैं. इसी में घर-गृहस्थी का पूरा सामान भी है. यह महिला दो वक्त की रोटी का इंतजाम मेहनत-मजदूरी से करती है.
जिलाधिकारी दिव्य प्रकाश गिरि ने कहा, "इसके पहले इस महिला के बारे हमें कोई सूचना नहीं थी. शुक्र है कि माडिया ने उसके हालात से रूबरू कराया. आज ही अधिकारियों की टीम भेज कर जांच कराएंगे और महिला को आवासीय भूखंड और सरकारी धन से घर बनवाने की कार्रवाई की जाएगी."