गोरखपुर : बीते साल इंसेफेलाइटिस और ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के कारण देश भर में चर्चा में आए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद गम्भीर बीमारियों से मरने वाले बच्चों की संख्या में कोई कमी नही दिखाई दे रही है. आलम यह है कि अभी जून के पहले हफ्ते में ही 35 बच्चे गम्भीर बीमारियों की चपेट में आकर मौत की नींद सो चुके हैं.


बीआरडी प्रशासन बीते वर्ष अगस्त में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के बादबच्चों की मौत के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दे रहा.  ये जानकारी विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से प्राप्त हुई है. आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है.


आंकड़े यह भी बताते हैं कि बीते पांच महीनों में 907 बच्चों की मृत्यु हुई है. जिनमें से कुल 63 बच्चों की मौत अकेले इंसेफेलाइटिस से हुई है.



एनआईसीयू में हुईं सबसे ज्यादा बच्चों की मौतें


आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से मई तक 5 महीनों में इंसेफेलाइटिस से 63 बच्चों की मौतें हुई. वहीं इस दौरान सबसे अधिक मौतें एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट) में हुईं. बताया जाता है कि ये बच्चे संक्रमण, सांस सम्बन्धी दिक्कतों, कम वजन आदि बीमारियों से पीड़ित थे.


इनमें से सबसे ज्यादा बच्चों की मौतें मार्च में हुई. मार्च में जहाँ एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80, कुल मिलाकर 235 बच्चों की इलाज के दौरान मृत्यु हो चुकी है.


बाल रोग विभाग में नवजात शिशुओं को एनआईसीयू और बड़े बच्चों को पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती किया जाता है. पीआईसीयू में इंसेफेलाइटिस से बीमार बच्चों को भी इलाज के लिए भर्ती किया जाता है.


जनवरी में बच्चों की मौत के आंकड़े-


एनआईसीयू में 89 वहीं पीआईसीयू में 40 बच्चों की, कुल 129 बच्चों की मौत


फरवरी 2018 के आंकड़े


एनआईसीयू में 85 वहीं पीआईसीयू में 55, कुल 140 बच्चों की मौत


मार्च 2018 के आंकड़े


एनआईसीयू में 155 वहीं पीआईसीयू में 80, कुल 235 बच्चों की मौत


अप्रैल 2018 के आंकड़े


एनआईसीयू में 118 वहीं पीआईसीयू में 68, कुल 186 बच्चों की मौत


मई 2018 के आंकड़े


एनआईसीयू में 120 वहीं पीआईसीयू में 62, कुल 182 बच्चों की मौत


जून 2018 के आंकड़े


जून महीने में केवल एक हफ्ता ही बीता हैं और इन 7 दिनों में ही 35 बच्चों की मौत हो चुकी हैं, जिनमें एनआईसीयू में 20 और पीआईसीयू में 15 बच्चों की अब तक मौत हो चुकी हैं.