जयपुर: राजस्थान में किसान वसुंधरा राजे सरकार से बेहद नाराज़ हैं. दरअसल राजस्थान सरकार ने मार्च में किसानों की तरफ से लिए गए 50 हज़ार तक के कर्ज़ को माफ करने की घोषणा की थी. लेकिन ये उन्हीं कर्जों पर लागू किया गया जो सहकारी बैंकों से लिया गया. इसकी वजह से किसानों का बड़ा वर्ग इससे बाहर हो गया. अब किसान इसी बात को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नाराज़ हैं.


नागौर में किसान मंगलचंद ने खुदकुशी की


नागौर के कुचामन के रहने वाले मंगलचंद ने पंजाब नेशनल बैंक से दो लाख रूपए का लोन लिया था. पौने दो लाख रूपए जमा करवाने के बाद भी बैंक ने उन्हें साढ़े चार लाख रूपए बकाए का नोटिस थमा दिया. एसडीएम ने सात अगस्त को तीन बीघा जमीन कुर्क करने का फरमान जारी कर दिया, जिसके बाद मंगलचंद ने आत्महत्या करी ली. बाद में जब गांव वालों ने शव का अंतिम संस्कार न करके सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की गौरव यात्रा का विरोध करने का फैसला किया तो आनन फानन में प्रशासन ने जमीन कुर्की के आदेश को रद्द कर दिया.


जमीन पर कुर्की का खतरा जयपुर से सिर्फ पचास किलोमीटर दूर मंडलिया मेदा के किसान अर्जुन पर भी मंडरा रहा है, इनकी मां के किसान क्रेडिट कार्ड से एक लाख का लोन लिया था. 55 हजार चुका भी दिए लेकिन देरी होने की वजह से 1 लाख से ऊपर की देनदारी बची हुई थी. उसके बाद 4 बीघा खेत को कुर्क करने का नोटिस मिल गया.


सरकार ने सिर्फ सहकारी बैंकों के लोन क्यों माफ किए?


बड़ा सवाल ये है कि जब बड़ी संख्या में किसानों ने लोन राष्ट्रीय बैंकों से ले रखा था तो सरकार ने सिर्फ सहकारी बैंकों के लोन क्यों माफ किए?  इस सवाल के जवाब में जयपुर के किसान नेता रामधन गुर्जर कहते हैं कि सब चुनाव के लिए हो रहा है.  उन्होंने ने कहा, ‘’खेतों में पानी के लिए कोई ट्यूबवेल नहीं हैं. बारिश भी नहीं हो रही और यहां कोई नहर भी नहीं है, ये चुनावी साल है. सरकार किसानों के साथ धोखा करती है. छलावा करती है. इसके अलावा कुछ नहीं करती.’’


किसानों की ऐसी हालत पर जब राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि एम. स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू हो.  कर्जामाफी किसी समस्या का समाधान नहीं है. बशर्ते कि हम उसको ठीक कर के आत्मनिर्भर बनाएं. उसको मुख्यधारा से जोड़ें. आर्थिक स्थिति मजबूत कैसे हो उससे जोड़ें.’’ स्वामीनाथन रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल में लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलना चाहिए.


राजस्थान की सियासत के बारे में जानें


बता दें कि राजस्थान में विधानसभा की 200 और लोकसभा की 25 सीटें हैं. साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 120 और कांग्रेस ने 56 सीटें जीती थीं. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर कब्जा किया था.  वसुंधरा राजे सिंधिया 2003-2008 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.  वसुंधरा राजे से पहले कांग्रेस के अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे. साल 1993 से हर पांच साल बाद राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी की सरकार चुनाव हार जाती है.




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