नई दिल्ली: कोरोना के चलते जहां एक ओर दिल्ली और देश भर में के लॉकडाउन के हालात हैं. इस बीच दिल्ली पुलिस दो तरीके से काम कर रही हैं. पहला लॉकडाउन को लागू कराने का तो दूसरा मुसीबत में फंसे उन लोगों की मदद करना जो या तो किसी बीमारी की वजह से अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं या फिर काम धंधा बंद होने की वजह से खाने के लिए मोहताज हो चुके हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस हीरो की तरह भूमिका निभाते हुए दोनों ही तरह के जरूरतमंदों तक पहुंच कर उन्हें मदद उपलब्ध करा रही है.
दिल्ली पुलिस के ऐसे ही एक हीरो हैं नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के एडिशनल डीसीपी(टू) सुकांत शैलजा बल्लभ. जिन्होंने 24 तारीख को किडनी की बीमारी से परेशान एक व्यक्ति की मदद की. जिस वजह से उस व्यक्ति की जान बच पाई. इस व्यक्ति को हर दूसरे दिन डायलिसिस की आवश्यकता होती है. अगर वक्त रहते डीसीपी मदद नहीं करते तो कहीं न कहीं उस व्यक्ति के लिए जिंदगी का संकट पैदा हो जाता.
जानिए क्या था पूरा मामला
विजय पार्क, मौजपुर निवासी अशोक गोयल को किडनी की बीमारी है. पिछले 6 साल से वह डायलिसिस करा रहे हैं. हर दूसरे दिन उन्हें डायलिसिस के लिए जाना होता है. 22 तारीख की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लॉक डाउन का ऐलान किया था. 24 मार्च को अशोक गोयल को डायलिसिस के लिए ताहिरपुर स्थित राजीव गांधी अस्पताल पहुंचना था. वह सुबह लगभग 9:45 बजे अपने घर से अस्पताल जाने के लिए निकले. लेकिन लॉकडाउन की वजह से न तो उन्हें कोई रिक्शा मिला और न ही कोई अन्य साधन. वह किसी तरह पैदल ही मौजपुर चौक पहुंचे. अशोक गोयल के पास कोई पास नहीं था ऐसे में पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं दी.
उन्होंने एंबुलेंस के लिए कई बार 112 नंबर डायल किया, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई. फिर अशोक गोयल ने वहां मौजूद कुछ मीडियाकर्मियों से मदद की गुहार लगाई. जिसके बाद यह बात नॉर्थ ईस्ट जिला के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक पहुंची. जानकारी मिलने पर एडीसीपी ख़ुद अशोक गोयल के पास पहुंचे. उन्होंने भी पहले यह प्रयास किया कि किसी तरीके से एंबुलेंस आदि उपलब्ध कराई जा सके, लेकिन जब कहीं से कोई मदद मिलती नजर नहीं आई तो महज 5 मिनट के भीतर ही बल्लभ ने अपनी सरकारी गाड़ी में अशोक गोयल को अस्पताल तक पहुंचाया. तब जाकर अशोक गोयल का डायलिसिस हो पाया.
अशोक गोयल का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने समय रहते उनकी मदद की जिस वजह से उनकी जिंदगी भी बच पाई है.क्योंकि डायलिसिस समय पर नहीं मिलने पर सीधे तौर पर जीवन को खतरा हो जाता है. जिस तरीके से दिल्ली पुलिस ने उनकी मदद की है, वह उसके लिए बहुत शुक्रगुजार हैं.
क्या कहना है सुकांत शैलजा बल्लभ का
जब इस संदर्भ में सुकांत बल्लभ से बात की गई तो उनका कहना था कि यह उनका कर्तव्य भी है कि वह मुसीबत में फंसे किसी भी व्यक्ति की मदद कर सकें. अशोक गोयल को हर दूसरे दिन ही डायलिसिस की आवश्यकता होती है. कल भी उनका फोन आया था क्योंकि उन्हें अस्पताल पहुंचने में दिक्कत हो रही थी. जिसके बाद उन्हें डीसीपी ऑफिस बुलाया गया. अब उनका कर्फ्यू पास बनवा दिया गया है. ताकि आने वाले दिनों में उन्हें अस्पताल पहुंचने में कोई समस्या न हो.
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