नई दिल्लीः जब दंगों की आग फैलती है तो तबाही मचाते हुए अक्सर उन पर जा लगती है जिनका दूर-दूर तक उससे कोई वास्ता नहीं होता. जब ऐसा होता है तो पीछे छूट जाते हैं बिखरे, टूटे हुए परिवार, जिनकी उदासी की जवाबदेही कोई नही कर सकता न तो वो दंगाई और न ही प्रशासन. भरोसे और विश्वास की डोर उनके लिए कहीं न कहीं टूट जाती है. दिल्ली के नार्थ ईस्ट जोन में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पक्ष विपक्ष में चल रहे प्रदर्शन 23 फरवरी को हिंसक गए और हिंसा बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ जाती है कि 26 फरवरी तक 25 लोग दम तोड़ देते हैं और 200 से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं. यह लोग जिन्होंने अपनी जान गंवाई यह आखिर कौन थे.


1. राहुल ठाकुर
23 वर्षीय राहुल को कल 4:30 बजे गुरु तेग बहादुर अस्पताल लाया गया था. अस्पताल में इलाज के दौरान रात में उनकी मौत हो गई. राहुल सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे और प्रदर्शन का हिस्सा भी नहीं थे. भरिजपुरी में राहुल अपने घर से बाहर निकले थे, जहां कुछ उपद्रवियों ने उनपर गोली चला दी थी. राहुल के पिता RPF में काम करते हैं. आखरी बार जब राहुल की उनके पिता से बात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि हालात खराब हैं इस सब से दूर रहे. वहीं राहुल की माता जी बात करने की हालत में नहीं हैं. जब यह हादसा हुआ उस वक्त राहुल के दोस्त भी वहां मौजूद थे. कहना है कि सुरक्षा बल की संख्या बेहद ही कम थी, पुलिस को कई बार फ़ोन किया गया. लेकिन पुलिस मदद करने सामने नहीं आई. उनका कहना है कि एक समय के बाद पुलिस ने फ़ोन उठाने तक बंद कर दिए थे. राहुल के रिश्तेदारों के कहना है की कल जो कदम उठाया गया उसे पहले उठा लेने चाहिए था.


 2. मेहताब (22 साल की थी उम्र)
मेहताब की भाभी का कहना है कि वह चाय पीना चाहता था इसलिए दूध लेने बाहर निकला था. उनकी मिक्स्ड कॉलोनी है इसीलिए आगे दूसरे समुदाय के लोगों ने गेट बंद कर हुआ था. जिस पर उनकी मां ने उसे पीछे के रास्ते से जाने के लिए कहा था. मेहताब की भाभी बताती हैं कि जैसे ही वो पीछे वाली गली में गए उन्हें वहां से घसीटते हुए ले जाया गया. जिसके बाद उन्हें उनका शव ही मिला. बता दें कि मेहताब दिमागी रूप से कमजोर थे. मेहताब अपने भाई के कंस्ट्रक्शन के काम में उनका हाथ बंटाते थे. सबसे ज़रूरी बात यह थी कि वो प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे.


3. फुरकान
दिल्ली हिंसा में 34 साल के फुरकान की भी मौत हो गई. फुरकान की एक 4 साल की बेटी और एक 2 साल का बेटा है. जिन्हें काफी समय तक यह ही नहीं पता था कि उनके पिता अब नहीं रहे. रिश्तेदारों के कहना है कि मीडिया के ज़रिए उनकी बेटी को उनके पिता के मारे जाने की खबर मिली. वहीं फुरकान की मां दिल की मरीज हैं. जिन्हें अब तक उनके बेटे की मौत के बारे में नहीं बताया गया है. उन्हें अब तक 2 बार हार्ट अटैक आ चुका है. फुरकान हैंडीक्राफ्ट्स का बिज़नेस करते थे.


4. बीरभान सिंह
बीरभान सिंह दिल्ली के शिव विहार में पिछले कुछ सालों से रह रहे थे. वह राजस्थान के एक गांव से आते हैं. उनका दिल्ली में अपना कारोबार था. जिस दिन उन्हें गोली लगी उस दिन वह मौजपुर से करावल नगर के लिए जा रहे थे. रास्ते में हिंसा हो जाने के कारण वो रोड के साइड से जा रहे थे. लेकिन किसी ने छत से गोली चलाई जो सीधा उनके सिर में लगी. जिससे उनकी मौत हो गई. उनके परिजनों का कहना है कि घटनास्थल पर सुरक्षा बल तैनात नहीं था.


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