वाराणसी: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में 'भूत विद्या' में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने को लेकर अब सोशल मीडिया पर नाराजगी सामने आ रही है, बीएचयू कोर्ट के एक सदस्य ने कोर्स के नाम में बदलाव के सुझाव के साथ कुलपति को पत्र लिखा है. बीएचयू पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा कोर्स साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर से संबंधित है और इसका असाधारण गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है.


श्रीराम एस.सावरिकर ने एक पत्र में कहा है कि चूंकि आम आदमी की समझ सीमित है, इसलिए नामकरण में स्पष्टता होनी बेहद जरूरी है. सावरिकर बीएचयू कोर्ट के सदस्य भी हैं.


सावरिकर ने अपने पत्र में लिखा, "मैं कोर्स की सामग्री से अवगत नहीं हूं. हालांकि, विषय के बारे में मेरी जानकारी के आधार पर, यह मनोरोग से संबंधित प्रतीत होता है. इसलिए, कोर्स का नाम बदल दिया जाना चाहिए और इसका नाम बदलकर आयुर्वेदिक साइकेट्री कर दिया जाना चाहिए."


पत्र में यह भी कहा गया, "आम लोग 'भूत' को भूत व प्रेत के तौर पर समझते हैं और हमेशा से इसे तांत्रिक अनुष्ठान से जोड़ते हैं जो इस मुद्दे को बहुत संवेदनशील बनाता है. कोर्स का नाम 'भूत विद्या' एक गलत संदेश देता है."


बीएचयू के अधिकारियों को अभी कोर्स के नाम के बदलाव पर फैसला लेना है.


जनवरी से शुरू होगा कोर्स


इतना ही नहीं बीएचयू में छात्रों को मानसिक बीमारियों का इलाज करने के नुस्खे भी सिखाए जाएंगे. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड फार्मा रिसर्च ने कोर्स का मुख्य आधार आयुर्वेद शास्त्र ने बताया है कि अगले साल जनवरी से इस कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.


कोर्स की जानकारी


6 महीने का होगा पूरा कोर्स.


1 साल में 2 बैच चलेंगे.


एक बैच10 बच्चों का होगा.


कोर्स की फीस 50 हजार होगी.


हर स्ट्रीम के मेडिकल ग्रेजुएट एडमिशन लेने के योग्य होंगे.


फिलहाल मेरिट के आधार पर एडमिशन होगा.


अगर अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा हुई तो एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा होगी. बता दें कि बीएचयू के इस एलान के साथ ही इस कोर्स को लेकर देश-विदेश में काफी चर्चा हो रही है. कोर्स को लेकर शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.


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