इलाहाबाद: नोटबंदी का ज़बरदस्त असर लोगों की सेहत पर भी पड़ रहा है. बैंकों और एटीएम से पैसे न मिल पाने और फुटकर पैसे नहीं होने की वजह से लोग अपना इलाज कराने से बच रहे हैं और बेहद ज़रूरी होने पर ही डॉक्टर के पास जा रहे हैं.
छुट्टी के बावजूद पसरा सन्नाटा
संगम के शहर इलाहाबाद के लोगों की सेहत पर नोटबंदी का क्या असर पड़ रहा है, यह जानने के लिए ABP न्यूज़ की टीम शहर के मुंडेरा इलाके में ओपीडी चलाने वाले एमबीबीएस डॉक्टर राजीव सिंह की क्लीनिक में पहुंची. यहां आज रविवार की छुट्टी के बावजूद सन्नाटा पसरा हुआ था और नोटबंदी से पहले के दिनों के मुकाबले आधे मरीज भी नहीं आए थे.
इलाहाबाद के मुंडेरा इलाके में छोटा सा अस्पताल और ओपीडी चलाने वाले फिजिशियन डॉ राजीव सिंह नोटबंदी से पहले हर वक्त मरीजों से घिरे रहते थे, लेकिन नोटबंदी के छब्बीस दिन बीतने के बाद इतवार की छुट्टी का दिन होने के बावजूद आज उनके यहाँ सन्नाटा पसरा हुआ है.
लोगों की दिक्कत को महसूस करते हुए कर दी ओपीडी फ्री
सुबह नौ से बारह बजे के बीच सिर्फ तेरह लोग चेकअप कराने व दवाएं लेने के लिए पहुंचे. आम दिनों में इतनी देर में वह पैंतीस से चालीस मरीजों को देख लेते थे. दरअसल डॉ राजीव के पास ग्रामीण इलाकों से ज़्यादा मरीज आते हैं और उनके यहां आज पसरे सन्नाटे की यही बड़ी वजह है. उनके मुताबिक़ नोटबंदी के पहले एक हफ्ते में जब मरीजों की संख्या घटकर सिर्फ पंद्रह फीसदी रह गई तो उन्होंने लोगों की दिक्कत को महसूस करते हुए ओपीडी फ्री कर दी थी. इसके अलावा जांच और दवाओं पर भी छूट दे दी थी.
डॉ राजीव का कहना है कि नोटबंदी के चलते लोग पहले घर के राशन को ज़्यादा तवज्जो दे रहे हैं. तबीयत ज़्यादा बिगड़ने पर ही वह अच्छे डॉक्टर्स के पास आ रहे हैं. हल्की बीमारी को या तो वह बर्दाश्त कर लेते हैं या फिर केमिस्ट अथवा गलियों के झोलाछाप डॉक्टर्स से दवाएं लेकर काम चला रहे हैं. उनके मुताबिक़ हालात अब धीरे-धीरे सामान्य तो हो रहे हैं, लेकिन उनके यहां इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या आम दिनों के मुकाबले अब भी आधे से ऊपर नहीं जा सकी है.
नोटबंदी से लोगों को थोड़ी दिक्कत
डॉ राजीव के मुताबिक़ इन दिनों ज़्यादातर वही मरीज आ रहे हैं, जिन्हें देसी नुस्खों और केमिस्ट शॉप या फिर गली के झोलाछापों से आराम नहीं मिला है. हालांकि उनका मानना है कि नोटबंदी से लोगों को थोड़ी दिक्कत ज़रूर हो रही है, लेकिन आने वाले दिनों में इसके बेहतर नतीजे ज़रूर देखने को मिलेंगे. डॉ राजीव का यह भी दावा है कि ज़्यादातर मरीज भी उनकी इस राय से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं
डॉ राजीव की क्लीनिक में आने वाले मरीजों ने भी यही बताया कि नोटबंदी की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले बीस दिनों से तेज बुखार व खांसी की समस्या से जूझ रहे अनूप सिंह के मुताबिक़ गली की दूकान से कई बार दवा लेने के बाद भी फायदा नहीं हुआ तो आज वह अपने बड़े भाई से एक हजार रूपये उधार लेकर अपना चेकअप कराने व दवा लेने के लिए आए हैं.
नोटबंदी के बावजूद अपनी सेहत को लेकर लोग अब फिर से फिक्रमंद होने लगे हैं. हालात धीरे- धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन लोगों का मानना है कि सेहत की गाड़ी के वापस पटरी पर आने में अब भी तकरीबन डेढ़ महीने का वक्त लग सकता है.