लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर नोटबंदी का कोई असर नहीं होगा. इस बार विधानसभा चुनाव में बीते चुनावों के मुकाबले दस फीसदी ज्यादा धन खर्च होने की संभावना है. यह खुलासा एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) यूपी इलेक्शन वॉच की सर्वे रिपोर्ट ने किया. रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी साल 2017 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के खर्च पर बेहसर रहेगी.
प्रतीकात्मक तस्वीर
यूपी विधानसभा चुनाव के खर्च पर नोटबंदी बेअसर: एडीआर
नोटबंदी से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और अधिक खर्चीले हो जाएंगे और राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चुनाव प्रचार में काला धन झोंकने के नये तौर तरीके खोजने पर बाध्य होंगे. ये दावा एक सर्वे में किया गया है. एसोसिएशन फार डेमोकेट्रिक रिफॉर्म (एडीआर) और यूपी इलेक्शन वाच के सर्वे में कहा गया, ‘‘नोटबंदी का चुनाव प्रचार या खर्च पर असर नहीं होगा.’’ सर्वे में 69 फीसदी संभावित प्रत्याशियों और पार्टियों के पदाधिकारियों ने माना कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार नोटबंदी के कारण चुनाव लड़ना दस फीसदी अधिक महंगा होगा.
इस रिपोर्ट के बारे में एडीआर के मुख्य संयोजक संजय सिंह ने बताया, "संभावित प्रत्याशियों व पार्टी पदाधिकारियों में से 69 फीसदी ने नोटबंदी को चुनावी खर्च पर बेअसर करार दिया, जबकि 65 फीसदी की मानें तो इससे वोटरों की खरीद-फरोख्त पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सर्वे में शामिल 80 फीसदी लोगों ने हालांकि माना है कि नोटबंदी से चुनाव प्रचार में काफी कठिनाई होगी."
70% व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी के चलते ग्राहक हुए कम
संजय ने कहा, "सर्वे में चुनाव सामग्री का कारोबार करने वाले 70 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी के चलते ग्राहक कम हुए हैं. कैशलेस व्यवस्था लागू किए जाने और नंबर एक में भुगतान पर जोर के चलते 60 फीसदी ने माना है कि इससे उनके व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि 30 फीसदी का कहना है कि थोड़ा बहुत असर पड़ेगा."
उन्होंने कहा, "लखनऊ, कानुपर झांसी सहित यूपी 10 मंडलों की 30 विधानसभा सीटों पर सर्वे में सामने आया कि बड़ी तादाद में चुनावी पैसा जनधन खातों में जमा कराया गया है. प्रत्याशियों व पार्टियों ने नोटबंदी के साथ ही तमाम कालाधन चुनाव के लिए खर्च के रूप में एडवांस में दे दिया है. राजनैतिक दलों और संभावित प्रत्याशियों की गाड़ियां, कीमती सामान और मोबाइल आदि की खरीद भी हो चुकी है."
मतदाताओं को लुभाने के लिए पुराने तरीके
करीब 65 फीसदी संभावित उम्मीदवारों का कहना है कि अगले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के तौर तरीकों पर कोई असर नहीं होगा जबकि 70 प्रतिशत का मानना था कि वे मतदाताओं को लुभाने के लिए पुराने तरीके ही अपनाएंगे. चुनाव सामग्री बेचने वाले व्यापारियों, इवेन्ट मैनेजर, प्रिंटर और ट्रेवल एजेंटों का कहना है कि प्रचार में दिक्कत होगी. उनमें से 70 प्रतिशत ने माना है कि कारोबार पर प्रतिकूल असर पडा है.
काफी तादाद में चुनावी पैसा जनधन खातों में जमा
सर्वे रिपोर्ट पेश करते हुए इसके मुख्य संयोजक संजय सिंह ने कहा कि नोटबंदी के बाद उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर इसके संभावित असर को लेकर विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे किया गया. उन्होंने बताया कि सर्वे उत्तर प्रदेश के दस मंडलों झांसी, लखनऊ, बांदा, कानपुर, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, आगरा और बरेली के 30 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया. सिंह का दावा है कि सर्वे के दौरान ये बात सामने आयी है कि काफी तादाद में चुनावी पैसा जनधन खातों में जमा कराया गया है.
सर्वे में प्रत्येक जिले के कम से कम लक्ष्य समूह के सात लोगों से बात की गयी.