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देवरिया बालिका गृह मामला: लड़कियों को बाहर भेजने से पहले दी जाती थी ड्रग्स
बता दें कि देवरिया बालिका संरक्षण गृह से भाग कर महिला थाने पहुंची लड़की ने मामले की पोल खोली थी. उसने पुलिस को बताया था कि रात के अंधेरे में बड़ी-बड़ी गाड़ियां आती थीं. जिसमें लड़कियों को बाहर भेजा जाता था. सवेरे वे रोते हुए लौटती थीं.
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देवरिया: उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित मां विंध्यवासिनी बालिका गृह में बच्चियों के यौन उत्पीड़न के मामला सामने आया था जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. अब इस मामले में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. पता चला है कि लड़कियों को बाहर भेजे जाने से पहले ड्रग्स दी जाती थी ताकि उन्हें किसी भी तरह के दर्द का अहसास ना हो. एक गवाह ने पुलिस को दिए बयान में ये बात कही है.
बता दें कि देवरिया बालिका संरक्षण गृह से भाग कर महिला थाने पहुंची लड़की ने मामले की पोल खोली थी. उसने पुलिस को बताया था कि रात के अंधेरे में बड़ी-बड़ी गाड़ियां आती थीं. जिसमें लड़कियों को बाहर भेजा जाता था. सवेरे वे रोते हुए लौटती थीं.
इस मामले में बालिका संरक्षण गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी उसकी बेटी और पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. घटना के बाद देवरिया बालिका संरक्षण गृह के साथ साथ गोरखपुर में चल रहे ओल्ड एज होम को भी सील कर दिया गया था.
मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर देवरिया के जिलाधिकारी सुजीत कुमार को हटा दिया गया था. इसके अलावा संरक्षण गृह को बंद करने का आदेश दिये जाने से छह महीने बाद तक देवरिया के डीपीओ रहे अभिषेक पाण्डेय को निलम्बित कर दिया गया था.
पिछले साल ही इस संरक्षण गृह को बंद कराने के आदेश दिए गए थे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 30 जुलाई 2018 को विंध्यवासिनी समिति के संचालक के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी हो गया था. लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इन सारे मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया और एडीजी क्राइम संजय सिंहल को इसकी ज़िम्मेदारी दी गई. संरक्षण गृह बंद होने के बाद वहां रह रही लड़कियों को वाराणसी भेज दिया गया.
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