इलाहाबाद : यूपी में देवरिया के शेल्टर होम में रखी गई महिलाओं के कथित यौन शोषण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर योगी सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए उसे कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने देवरिया मामले में पुलिसकर्मियों के तबादले पर नाराज़गी जताई है और इस कदम को नाकाफी बताया है. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि तबादला कोई सजा नहीं होती. सरकार ने इस मामले में अदालत के निर्देशों के बावजूद महज खानापूर्ति की है.


अदालत ने यूपी सरकार से यह पूछा है कि आखिर देवरिया मामले में ज़िम्मेदार पुलिस कर्मियों को सस्पेंड क्यों नहीं किया गया. अदालत ने यूपी सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते की मोहलत दी है. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से बताया गया था कि 28 पुलिस कर्मियों का ट्रांसफर किया गया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई.


हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में यूपी सरकार ने बुधवार को हलफनामा दाखिल कर जानकारी दी कि सूबे के शेल्टर होम्स की निगरानी के लिए हर जिले में अलग अलग कमेटी बनाई जा रही है. अदालत ने इस कमेटी में लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिवों को भी शामिल करने का सुझाव दिया है. अदालत ने इसके साथ ही न्यायिक अफसरों की एक अलग कमेटी अपनी तरफ से भी गठित किये जाने की बात कही है.


अदालत ने पिछली सुनवाई में सभी शेल्टर होम्स में सीसीटीवी और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराए जाने का जो आदेश दिया था, यूपी सरकार ने उस पर अमल करने में फंड की कमी की बात बताई. अदालत ने इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि सरकार को सभी शेल्टर होम्स से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के लिए फंड तुरंत मुहैया कराना चाहिए. अदालत ने इस मामले में अभी तक सीबीआई जांच शुरू नहीं होने पर भी सवाल उठाए और इस पर भी जवाब तलब किया.