इलाहाबाद: देवरिया के शेल्टर होम में रखी गईं लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर सोमवार को यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए ज़िम्मेदार पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई. अदालत की नाराज़गी पर यूपी सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि दोषी पुलिस वालों के खिलाफ जल्द सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह कार्रवाई गोरखपुर जोन के एडीजी की गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी.


कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट भी पेश की गई. कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर असंतुष्टि जताई और विवेचना के तरीके पर सवाल उठाए. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि सबसे पहले शेल्टर होम के स्टाफ और वहां रहने वाली लड़कियों को बाहर ले जाने वाले कार ड्राइवर्स के बयान दर्ज किए जाने चाहिए थे, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.


अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि स्टाफ और ड्राइवर्स के साथ ही अभी तक शेल्टर होम के नजदीक रहने वालों के भी बयान क्यों नहीं लिए गए. यह जानने की कोशिश क्यों नहीं की गई कि लड़कियों को कार से कहां और किनके पास ले जाया जाता था. कहीं लड़कियां किसी नेता-अफसर या दूसरे वीआईपी के पास तो नहीं भेजी जाती थीं.


यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि देवरिया के अठारह थाना प्रभारियों का तबादला किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके साथ ही मामले की सीबीआई जांच की सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं. यूपी सरकार ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि शेल्टर होम से गायब हुई लड़कियों में से एक को छोड़कर बाकी सभी का पता लगा लिया गया है.


सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि देवरिया की घटना के बाद यूपी के सभी शेल्टर होम्स में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने सोमवार को चार बार इस मामले में सुनवाई की. दो बार की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोंसले के चैंबर में हुई. चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुओ मोटो लेकर सुनवाई की थी. इलाहाबाद की सामाजिक कार्यकर्ता पदमा सिंह और अनुराधा ने इस मामले में पीआईएल भी दाखिल की थी.