वाराणसी: बीते पांच सालों से देश में ऐसा माहौल बना है कि अब काशी को गंगा और काशी विश्वनाथ के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण भी जाना जाता है. पीएम ने 32 हजार करोड़ की जो सौगातें वाराणसी को दी हैं उनसे बड़ा परिवर्तन हुआ है जो धरातल पर दिखने लगा है.


नरेंद्र मोदी, वाराणसी से सांसद बनने के बाद 20 बार वाराणसी आए, 4 बार वे काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे और महादेव के दर्शन किए, 4 बार वे गंगा आरती में शामिल हुए और 4 बार वे विदेशी मेहमानों के साथ वाराणसी पहुंचे.


मोदी ने वाराणसी को विश्वपटल पर पहचान दिलाने के लिए एक खाका तैयार किया और फिर उसे जमीन पर उतारने के लिए भी निर्णय लिए.


लोगों के घरों में गैस पाइपलाइन पहुंचाने का काम किया गया है साथ ही जर्जर और लटकते तारों के जाल को भी साफ किया जा चुका है. हालांकि इन दोनों की कामों को 100 प्रतिशत तो नहीं कहा जा सकता लेकिन काफी हद तक इसे पूरा कर लिया गया है.



बुनकरों के लिए बड़ा लालपुर में दीन दयाल हस्तकला संकुल यानी ट्रेड फैसिलिटी सेंटर खोला गया है. इससे उनका माल सही समय पर सही जगह पहुंच सकेगा और उनकी आमदनी बढ़ सकेगी. इसके अलावा क्राफ्ट्स म्यूजियम का भी निर्माण किया गया है.


वाराणसी में गंगा को निर्मल तो नहीं कहा जा सकता लेकिन पहले से साफ जरूर कहा जा सकता है. साथ ही गंगा घाटों पर सफाई का जो काम पीएम मोदी ने शुरु किया था उसके तहत घाटों की नियमित सफाई की जाती है. इससे पर्यटकों की आवाजाही पहले से अधिक हो गई है. पर्यटक अधिक हैं तो नाविकों और पंडों से लेकर समान बेचने वालों तक के जीवन में सुधार आया है.


रामनगर में मल्टी मॉडल टर्मिनल बन रहा है जिसे अब कार्गो हब के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां बन्दरगाह बनाया गया है जिससे इनलैंड वाटरवेज के जरिये माल की ढुलाई शुरू हो चुकी है. वाराणसी से हल्दिया तक जलमार्ग बना है जिसकी पिछले दिनों काफी चर्चा भी हुई थी.



इनके अलावा दो कैंसर अस्पताल, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल का निर्माण किया गया है. एक अस्पताल को एम्स का दर्जा भी दिया गया है. मंडुआडीह स्टेशन बनाया गया है और बाकी स्टेशनों, बस स्टेशनों का भी कायाकल्प किया गया है.


सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट बना है जिसके कारण गंगा का पानी यहां साफ हो सका है.


अब बात सबसे चर्चित प्रोजेक्ट की जिसका नाम है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर. इसके लिए काशी विश्वनाथ मन्दिर के आसपास का इलाका अधिग्रहित कर भवनों को गिराया जा चुका है. यहां श्रद्धालुओं के सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. श्रद्धालु अब गंगा नदी में स्नान कर दर्शन के लिए सीधे मन्दिर पहुंच सकेंगे. पहले 2-3 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था या फिर तंग संकरी गलियों से गुजरना पड़ता था.


साथ ही वाराणसी के आसपास 4 लेन हाइवे का जाल बिछ रहा है, जिससे बड़े शहरों से वाराणसी पहुंचना आसान हो जाएगा. प्रयागराज- वाराणसी नेशनल हाईवे को 4 लेन से बढ़ाकर 6 लेन किया जा रहा है. शहर में ट्रैफिक कम करने के लिए रिंग रोड बनाई जा चुकी है. बाबतपुर से शिवपुर तक पहुंचने के लिए एलिवेटेड हाइवे बनाया गया है.