यूपी: मथुरा में हरियाली तीज पर ठाकुरजी के हिंडोला दर्शन नहीं कर पाएंगे भक्त
कोरोना संक्रमण काल के चलते मंदिर बंद हैं. इस बार भक्त मथुरा-वृन्दावन के मंदिरों में ठाकुर जी के हिंडोला दर्शन से वंचित रहेंगे. ये परंपरा 200 वर्षों से चली आ रही है. ठाकुर जी यहां सोने और चांदी के हिंडोलो में दर्शन देते हैं.
मथुरा, एजेंसी. कोरोना संकट के चलते हरियाली तीज के मौके पर मथुरा-वृन्दावन के प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालु सोने-चांदी के हिण्डालों में विराजमान ठाकुरजी के दर्शन नहीं कर पाएंगे, क्योंकि, इन दिनों सभी प्रमुख मंदिर भक्तजनों के लिए बंद रहेंगे और केवल नियमानुसार उनकी राग-भोग एवं सेवा-पूजा पूर्ववत जारी रहेगी.
गौरतलब है कि मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर की करीब दो सौ वर्ष पूर्व हुयी स्थापना से लेकर अब तक हर साल सावन की दूज तिथि से एक माह तक राधाधिराज नित्यप्रति सोने और चांदी के हिण्डोलों में दर्शन देते आए हैं. लेकिन इस साल उपरोक्त अवधि (सात जुलाई से पांच अगस्त तक) यह परंपरा जारी नहीं रह पाएगी और भक्त दर्शन नहीं कर पायेंगे.
इसी प्रकार, वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध ठा. बांकेबिहारी मंदिर में हरियाली तीज के दिन वर्ष में केवल एक बार ठाकुरजी सोने व चांदी के कई मन भारी हिण्डोलों में विराजते हैं, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर इस बार यह भी नहीं हो पाएगा.
इस बारे में प्रबंधकों का कहना है कि इस माह मथुरा-वृन्दावन के मंदिरों के संचालक, प्रबंधकों एवं सेवायतों ने सरकार द्वारा श्रद्धालुओं की भीड़ के नियंत्रण का जिम्मा उन्हीं पर डाल दिए जाने से श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों को बंद रखने का ही निर्णय किया गया है.
राजाधिराज बाजार में स्थित ठा. द्वारिकाधीश मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी एडवोकेट राकेश तिवारी ने बताया कि यूं तो मंदिर के गोस्वामी एवं कांकरौली नरेश महाराज ब्रजेश कुमार तथा युवराज डा वागीश कुमार द्वारा मंदिर के श्रावण एवं भादो मास के कार्यक्रमों का परंपरानुसार निर्धारण कर दिया गया है. लेकिन, इस बार ठाकुर द्वारिकाधीश महाराज सोने-चांदी की हिंडोले में नहीं विराजेंगे.
उनका कहना है कि चूंकि इस अवसर पर हिण्डोलों को उनके गृह से बाहर निकालने एवं स्थापना व सजावट आदि के लिए अनेक लोगों की मदद लेनी होती है परंतु इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते किसी भी स्थान पर पांच या पांच से ज्यादा व्यक्तियों का जमा होना प्रतिबंधित है और ऐसा करने पर संक्रमण फैलने का खतरा भी है, इसलिए ठाकुरजी भौतिक रूप के स्थान पर केवल भावनात्मक रूप से ही हिण्डोलों में विराजेंगे. हिण्डोलों के बाकी सभी मनोरथ पूर्वानुसार जारी रहेंगे.
तिवारी ने बताया, ‘आगामी 18 जुलाई से घटा शुरू होंगी. इसके सुबह के दर्शन प्रातः 10 से 11 बजे तक होंगे और शाम को शयन के समय में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है. बाकी सभी दर्शन अंदर ही अंदर होंगे और सेवा का क्रम जारी रहेगा.’
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के महाप्रबंधक उमेश चंद्र सारस्वत ने बताया, ‘इस वर्ष हरियाली तीज के अवसर पर श्रद्धालु ठाकुरजी के हिण्डोला दर्शन नहीं कर सकेंगे। क्योंकि, इस बीच 31 जुलाई तक मंदिर को आम भक्तजनों के लिए बंद ही रहेगा. लेकिन ठाकुरजी के सेवा कार्य जारी रहेंगे लेकिन तीज के अवसर पर वर्ष में एक बार होने वाले दर्शन लोगों को नहीं हो सकेंगे.’
उन्होंने बताया, ‘हिण्डोलों का निर्माण ठाकुरजी के अनन्य भक्त हरगुलाल बेरीवाला ने बनारस के कारीगरों से सन् 1942 में कराया था जो पांच वर्ष में बनकर तैयार हुआ. इसमें एक लाख तोले चांदी एवं दो हजार तोला सोना का इस्लतेमाल किया गया था.
सारस्वत ने बताया कि अलग-अलग कुल 130 टुकड़ों में बनाए गए हिण्डोलों की स्थापना 1947 में श्रावण शुक्ल तृतीया (जिसे हरियाली तीज भी कहा जाता है) को पहली बार ठाकुरजी को विराजमान कराया गया था. संयोग से यह दिन देश की आजादी का दिन (15 अगस्त) भी था. तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी रही, परंतु कोरोना के चलते इस बार ऐसा संभव नहीं हो पाएगा.’
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