पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बच्चों की हाल में हुई मौतों की डॉक्टरों की एक स्वतंत्र टीम ने जांच की है. जांच के दौरान इस टीम ने पाया कि मुजफ्फरपुर त्रासदी के लिए ‘प्रशासनिक विफलता’ और ‘लोगों के प्रति राज्य की उदासीनता’ जिम्मेदार है. डॉक्टरों की टीम ने यह भी दावा किया है कि अधिकांश मृत बच्चों के माता-पिता की सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक पहुंच नहीं थी क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं थे.
डॉक्टरों की एक टीम ने ‘प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम’ (पीएमएसएफ) के बैनर तले यह प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां के ज्यादातर बच्चे कुपोषित थे और किसी का भी इलाज नहीं हुआ था. इसके अलावा, उनमें से किसी के पास भी विकास निगरानी कार्ड नहीं थे. समूह में यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर भी थे.
बीमारी से बचने के लिए निवारण तंत्र की कमी
पीएमएसएफ के राष्ट्रीय संयोजक और एम्स रेजिडेन्ट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के पूर्व अध्यक्ष डा. हरजीत सिंह भाटी ने कहा कि ये मौतें पिछले दस सालों से हो रही हैं और अभी भी खास बीमारियों या क्षेत्र में डायरिया जैसी आम बीमारी के लिए कोई निवारक तंत्र और स्वास्थ्य जागरूकता नहीं है.
इन सुविधाओं की कमी पर डाला गया है प्रकाश
हरजीट सिंह भाटी ने कहा, ‘‘पेयजल की भारी कमी है और पूरे मुजफ्फरपुर में समुचित सीवरेज प्रणाली नहीं है. स्वास्थ्य केन्द्रों में सफाई की स्थिति खराब है.’’ टीम ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, ‘‘आशा कार्यकर्ता, उप-केंद्रों और आंगनवाड़ी सेवाओं की संख्या और कार्यों में कमी है और लोगों का स्थानीय स्वास्थ्य प्रणाली में विश्वास नहीं है. टीकाकरण सेवाएं खराब हैं.’’
डॉक्टरों की संख्या कम है
रिपोर्ट में कहा गया है कि निकटतम मेडिकल कॉलेज श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) में आपातकालीन कक्ष में एक दिन में 500 रोगियों की देखभाल के लिए केवल चार डॉक्टर और तीन नर्स हैं और दवाओं और उपकरणों की कमी है. डॉक्टरों के समूह ने दावा किया कि विभिन्न स्तरों पर खामियों के बावजूद किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.
बता दें बिहार में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस की वजह से अब तक 150 से अधिक बच्चों की जानें जा चुकी हैं. इसमें सबसे अधिक संख्या मुजफ्फरपुर से है. इस बीमारी के बढ़ने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर के अस्पताल का दौरा किया था. अब ये बीमारी कंट्रोल में है.
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