डॉक्टर कफील खान के भाई अदील खान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजय किशन कौल ने ये फैसला सुनाया. डॉक्टर कफील की ओर से SC की वरिष्ठ अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा और फुजैल अयूबी एडवाकेट ऑन रिकड ने डॉक्टर कफील की ओर से याचिका दायर की थी.
डॉक्टर कफील खान को 10 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए आक्सीजन कांड में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दो सितम्बर 2017 को सस्पेंड कर दिया गया था. इसके पहले उनके ऊपर केस दर्ज किया गया था. वह 2 सितम्बर को गिरफ्तार हुए. आठ महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली और वह 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.
जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने सात मार्च 2019 को आदेश दिया कि डॉक्टर कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने के अंदर पूरा किया जाए. तीन महीने की ये अवधि सात जून को पूरी हो रही है. अभी तक उनके खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने के बारे में कोई खबर नहीं है.
इसी बीच उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की. डॉक्टर कफील के भाई अदील खान ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कर्मचारियों के निलम्बन मामले में जांच की कार्रवाई तीन महीने में पूरी कर ली जानी चाहिए. डॉक्टर कफील का कहना है कि 18 महीने से अधिक समय हो गया. लेकिन, अभी तक उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाई पूरी नहीं हुई है. इस कारण उन्हें जीवन निर्वाह में दिक्कत हो रही है. उन्हें वेतन की आधा रकम मिल रही है. वे प्राइवेट प्रैक्टिस भी नहीं कर पा रहे हैं.
बीआरडी मेडिकल कालेज में एक ही रात में ऑक्सीजन की कमी के कारण 36 बच्चों की मौत के बाद हंगामा मच गया था. ये घटना पूरे देश में सुर्खियां बनी. इसमें यूपी की योगी सरकार की खूब किरकिरी भी हुई. इस मामले में हालांकि नौ लोगों को एक-एक करके जेल भी भेजा गया. इस कांड के बाद गोरखपुर समेत पूरे देश में हंगामा मच गया. विपक्षी पार्टियों को भी योगी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया.
उसके बाद इस मामले में 100 वार्ड के प्रभारी रहे बीआरडी मेडिकल कालेज के चिकित्सक बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान को भी दोषी मानते हुए प्रदेश सरकार ने मुकदमा दर्ज कराया. उन्हें 23 अगस्त 2017 से वर्तमान निलंबन तक के बकाया भुगतान का आदेश दिया गया है. ये भुगतान राज्य सरकार को 7 जून के भीतर कर देना होगा.