नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की डीटीसी बस में नियुक्त मार्शल ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ से एक 4 साल की बच्ची का अपहरण होने से बचा लिया. अरुण कुमार उत्तम नगर के रहने वाले हैं. 28 अक्टूबर को डीटीसी बस में उन्हें मार्शल नियुक्त किया गया. 20 नवंबर सुबह 11:00 बजे अरुण कुमार ने अपनी ड्यूटी शुरू की. उत्तम नगर टर्मिनल से डीटीसी बस में चढ़ने के बाद रोज की तरह महिलाओं की सुरक्षा का खास ख्याल रखते हुए और लोगों की मदद से ड्यूटी की शुरुआत की.


लेकिन जब उत्तम नगर टर्मिनल से पालम फ्लाईओवर की तरफ बस बड़ी तो पालम फ्लाईओवर से एक व्यक्ति एक बच्ची के साथ बस में चढ़ा. बच्ची रो रही थी. जब मार्शल ने उसको गौर से देखा तो बच्ची का उस व्यक्ति से कोई संबंध नजर नहीं आ रहा था. बच्ची जब कुछ देर तक चुप नहीं हुई तो मार्शल को शक हुआ. उसने उस व्यक्ति से पूछा; क्या यह बच्ची तुम्हारी है? और सवाल सुनते ही वह व्यक्ति घबरा गया.


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अरुण कुमार ने बताया कि वो शख्स भागने का प्रयास करने लगा. अरुण ने ड्राइवर से बस के दरवाजे बंद करा दिए और आरोपी को पकड़ लिया. धौलाकुआं पुलिस स्टेशन पर आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया. अरुण कुमार की बहादुरी से उनका पूरा परिवार उनपर गर्व महसूस कर रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अरुण कुमार से खास मुलाकात करके उनकी बहादुरी पर उन्हें बधाई दी.


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अरुण कुमार जैसे और भी कई मार्शल ऐसे हैं, जो अपनी सूझबूझ और बहादुरी से ऑन ड्यूटी ही नहीं बल्कि ऑफ ड्यूटी भी अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे. लेडी मार्शल सीमा ने भी अपने बल और सूझबूझ का प्रयोग करके दो मोबाइल चोरों को डीटीसी बस में धर दबोचा.


उन्होंने बताया- तीन-चार दिन पहले की बात है. मैं ड्यूटी पर थी.. एक महिला चिल्लाने लगी कि मेरा मोबाइल... मेरा मोबाइल... मैंने फौरन बस के गेट बंद करवाए और दो लड़कों पर शक हुआ उनको फौरन मैंने पकड़ा और नीचे गिराकर मोबाइल मांगे तो उन्होंने मोबाइल दे दिया.


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जहां मार्शल ऑन ड्यूटी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं तो वहीं ऑफ ड्यूटी भी मार्शल अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं है. ऐसे ही एक लेडी मार्शल संजीत ने अपनी एक सहयोगी मार्शल के साथ ऑफ ड्यूटी छह लोगों की जान बचाई. उन्होंने बताया कि एक एक्सीडेंट हो गया था. ईंट से भरे ट्रैक्टर और एक गाड़ी भिड़ गए थे. हमारे सामने ही एक्सीडेंट हुआ था. कोई उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा. मैं और मेरी दोस्त लक्ष्मी वहां से गुजर रहे थे. हम रुके 1 क्लस्टर बस रुकवा कर उसमें उन सबको लेकर हॉस्पिटल गए. हमारे पास कोई साधन नहीं था. उनको बस में ऊपर चढ़ाने के लिए तो हमने अपने शॉल दुपट्टे जो भी थे, उनमें डालकररेस्क्यू किया. उसके बाद हमने बस के अंदर ही उनको फर्स्ट एड दिया."