लखनऊ : दुधवा नेशनल पार्क को विश्वस्तरीय 'इको-पर्यटन' केन्द्र के रूप में विकसित करने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के बीच इस पार्क को अगले कुछ दिन में कर्नाटक से 11 हाथियों का तोहफा मिलने जा रहा है.


दुधवा नेशनल पार्क के उप निदेशक महावीर कौजलागी ने कहा, 'कर्नाटक से 11 हाथी आने के बाद दुधवा में हाथियों की संख्या 24 हो जाएगी. उनके आने से यहां काफी सुविधा भी हो जाएगी, जिसमें बारिश के मौसम में वन क्षेत्र की गश्त भी शामिल है. जब सवाल किया गया कि क्या भविष्य में पर्यटन की दृष्टि से भी इन हाथियों की अहम भूमिका होगी तो उन्होंने कहा कि फिलहाल इन हाथियों का उपयोग गेंडों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए किया जाएगा यानी सुदूरवर्ती वन क्षेत्रों में हाथियों के जरिए गश्त की जाएगी.


उन्होंने कहा कि एक बार दुधवा पार्क के माहौल में ये 11 हा​थी रम जाएं तो पर्यटकों के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.ये हाथी कर्नाटक से दुधवा कब तक पहुंचेंगे, इस सवाल पर कौजलागी ने बताया कि 20 अप्रैल तक उन्हें दुधवा लाया जाना प्रस्तावित है.


उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की पहल पर कर्नाटक सरकार ने 11 प्रशिक्षित हाथियों को उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में भेजने का फैसला किया है. कर्नाटक के नागरहोल नेशनल पार्क और बांदीपुर बाघ अभयारण्य से इन हाथियों को दुधवा पार्क भेजा जाएगा.


अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश से 15 महावतों की टीम कर्नाटक के उक्त दोनों नेशनल पार्क पहुंच गयी है ताकि वे हाथियों से मेल-जोल बढ़ा सकें.उन्होंने बताया कि सभी हाथियों को बड़े-बड़े ट्रकों में लाया जाएगा. ग्यारह ट्रकों के काफिले में पशु चिकित्सकों के साथ ही दोनों प्रदेशों के हैंडलर्स भी रहेंगे. उम्मीद है कि सड़क मार्ग के जरिए इन हाथियों को उत्तर प्रदेश पहुंचने में छह से सात दिन लगेंगे.


दुधवा नेशनल पार्क मुख्यमंत्री योगी के दिल के काफी करीब है । वह इस पार्क को विश्वस्तरीय 'इको टूरिज्म' केंद्र के रूप में विकसित करने का निर्देश वन एवं पर्यटन अधिकारियों को दे चुके हैं.


योगी ने 'यूपी इन्वेस्टर्स समिट' में कहा था, 'मैंने दुधवा पार्क जैसा शानदार वन्यजीव पार्क इस देश में दूसरा कोई नहीं देखा है. यहां बाघ, हिरण और चिड़िया हैं. हर किलोमीटर पर जानवरों को देखा जा सकता है.' गौरतलब है कि दुधवा नेशनल पार्क उत्तर प्रदेश के खीरी जिले में स्थित संरक्षित वन क्षेत्र है. यह भारत और नेपाल की सीमाओं से लगे विशाल वन क्षेत्र में फैला है. यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है. यह पार्क विशेष रूप से बाघों और बारहसिंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध है.


दुधवा उद्यान जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध माना जाता है. पर्यावरणीय दृष्टि से इस जैव विविधता को भारतीय संपदा और अमूल्य पारिस्थितिकी धरोहर के तौर पर माना जाता है. इसके जंगलों में मुख्यतः साल और शाखू के वृक्ष बहुतायत से मिलते हैं.


हिरनों की पाँच प्रजातियां- चीतल, सांभर, काकड़, पाढ़ा और बारहसिंगा, बाघ, तेन्दुआ, भालू, सेही, उड़न गिलहरी, हिस्पिड हेयर, बंगाल फ़्लोरिकन, हाथी, सूस (गैंजैटिक डाल्फ़िन), मगरमच्छ, लगभग 400 पक्षी प्रजातियां एंव सरीसृप, उभयचर, तितलियों के अतिरिक्त दुधवा के जंगल बहुत सी अन्य प्रजातियों का घर हैं.