गुजरात में भूकंप के तेज झटके, 5.5 की तीव्रता, घरों से बाहर भागे लोग
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
नई दिल्ली: देश में कई तरह की आपदाएं मानों इन दिनों एक साथ आ गई हो. एक तरफ लोग कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आए दिन भूकंप ने लोगों को परेशान कर रखा है. अब गुजरात में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जिसके बाद लोगों में दहशत का माहौल बन गया है.
बताया जा रहा है कि राजकोट से 122 किमी उत्तर-पश्चिम में भूकंप का केंद्र था और भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 आंकी गई है. रात 8.13 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. फिलहाल किसी के जान के नुकसान की खबर सामने नहीं आई है.
Gujarat: People come out of their houses in Ahmedabad following tremors in the state; visuals from Prahlad Nagar area in the city.
National Center for Seismology (NCS) has ascertained that magnitude of the earthquake was 5.5 on the Richter scale. pic.twitter.com/h0NVlQmoEj — ANI (@ANI) June 14, 2020
इससे पहले 2 जून को कश्मीर में सुबह 8.15 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.9 मापी गई थी. भूकंप का केंद्र श्रीनगर शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था.
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
- अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
- अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
- अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
- अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
- मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
- कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
- अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
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