चुनाव आयोग ने अखिलेश और मुलायम गुट से विधायकों-सांसदों के समर्थन का हलफनामा मांगा
नई दिल्ली: यूपी समेत पांचों राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. लेकिन यूपी में सत्तारूढ़ पार्टी सपा में चल रहा दंगल थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुलायम सिंह यादव और उनके बेट अखिलेश यादव में सपा के चुनाव चिह्न 'साइकिल' पर घमासान जारी है. इसी बीच चुनाव आयोग ने अखिलेश गुट और मुलायम गुट दोनों को हलफनामा देकर अपनी ताकत साबित करने को कहा है.
चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से ये बताने को कहा है कि कितने विधायक, कितने एमएलसी और कितने एमपी का समर्थन उन्हें हासिल है. चुनाव आयोग ने दोनों से 9 जनवरी तक जवाब मांगा है. दोनों गुटों को एक दसूरे के वो दस्तावेज भी भेजे गए हैं जो उन्होंने चुनाव आयोग को दिए थे.
आपको बता दें कि इससे पहले दोनों गुट चुनाव आयोग से मुलाकात कर साइकिल पर अपना होने का दावा ठोक चुका है. बीते सोमवार मुलायम सिंह अपने साथ शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा को लेकर निर्वाचन आयोग पहुंचे थे. इसके बाद मंगलवार को अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव चुनाव आयोग पहुंचे. रामगोपाल ने जरूरी डॉक्यूमेंट्स आयोग को सौंपे. रामगोपाल का दावा है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ही असली सपा है और 90 प्रतिशत सदस्य उनके साथ हैं.
कल यूपी विधानसभा चुनाव का ऐलान भी हो चुका है. ऐसे में चुनाव आयोग इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाना चाहता है. चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से हलफनामे की मांग तो कर ली है लेकिन दोनों गुटों के दावे की जांच में चुनाव आयोग को कई महीने लग सकते हैं.
जब्त हो सकता है 'साइकिल' चुनाव चिह्न
इस बीच यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो गया है. अब इस समय बड़ा सवाल ये है कि आखिर साइकिल किसकी होगी. संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि निर्वाचन आयोग पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त भी कर सकता है और दोनों गुटों को चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग नया चुनाव चिन्ह जारी कर सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो दोनों गुटों को ही झटका लगेगा, क्योंकि साइकिल एसपी का स्थापित चुनाव चिन्ह है.
सुलह की कोशिशें नाकाम यूपी में समाजवादी पार्टी में सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं, बैठकों और मुलाकातों के कई दौर बीत चुके हैं पर पिता और बेटे के बीच की दरार भर नहीं पा रही है. अब मुलायम ने अमर सिंह के ज़रिए चुनाव आयोग को ज्ञापन भिजवाया है जिसमें अखिलेश खेमे द्वारा एक जनवरी को कराया गया अधिवेशन असंवैधानिक होने के प्रमाण दिए गए हैं.
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