नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिहार सरकार के पूर्व निदेशक राजभाषा धर्म नारायण चौधरी तथा अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपपत्र बिहार की कोर्ट के समक्ष पेश किया है. आरोप है कि डीएन चौधरी के पारिवारिक सदस्यों की आय का कोई स्रोत नहीं था लेकिन उनके पास बड़े पैमाने पर पैसा पाया गया. ईडी ने इस मामले में चौधरी की चल अचल संपत्ति जिसकी कीमत लगभग 4 करोड़ 38 लाख रुपए बताई जाती है को जब्त करने का प्रार्थना पत्र कोर्ट के सामने पेश किया है.


ईडी के एक आला अधिकारी के मुताबिक जिस चल अचल संपत्ति की जब्ती की बात की गई है उसमें 3.85 करोड़ रुपये की चल संपत्ति, बैंक खातों में शेष राशि, पोस्ट ऑफिस एमआईएस और टीडीएस खाते, सहारा डिपॉजिट्स, एलआईसी नीतियां, किसान विकास पत्र, म्यूचुअल फंड निवेश और 53 लाख रुपये की अचल संपत्ति शामिल है.


ईडी के मुताबिक यह मामला बिहार सरकार की विशेष सतर्कता इकाई द्वारा दर्ज किए गए मामले के आधार पर ईडी ने दर्ज किया था और अपनी जांच शुरू की थी. जांच के दौरान ईडी ने पाया कि चौधरी ने अपने नाम के अलावा अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर आय के ज्ञात स्रोतों के अलावा आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए कई उपाय किए.


ईडी ने जिस पीरियड की जांच की है उसमें 1 जनवरी 1982 से लेकर 26 अप्रैल 2008 तक का पीरियड शामिल है. ईडी के मुताबिक जांच के दौरान पाया गया कि इस दौरान चौधरी और उसके परिजनों के नाम पर अनेकों चल अचल संपत्ति खरीदी गई जबकि लेन-देन का जो तरीका अपनाया गया वह नगद लेनदेन से था और परिवार के सदस्यों के पास आय का कोई जरिया नहीं था. जांच में ये भी पता चला कि आरोपियों के परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में नकदम में रकम जमा होती थी.


ईडी का आरोप है कि साफ तौर पर जाहिर है कि पैसा किसी और मद में कमा कर कहीं और दिखाया जा रहा था. ईडी के मुताबिक जांच के दौरान यह भी पता चला कि इस अवैध आय को जायज दिखाने के लिए परिवार के सदस्यों द्वारा आयकर रिटर्न भी दाखिल की जा रही थी जिससे इन पैसों पर किसी को शक ना हो सके. मामले की जांच के बाद अभी ईडी ने अपना आरोप पत्र पटना की विशेष अदालत के सामने पेश कर दिया है.


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