नई दिल्ली: नोटबंदी के बीच ऐसी राजनीतिक पार्टियों पर आरोप लगने लगे जो चुनाव तो लड़ती नहीं बल्कि काले का सफेद करने के धंधे में हैं. चुनाव आयोग ने ऐसी पार्टियों की लिस्ट बनाई है जिनके खातों की जांच वो इनकम टैक्स से करवाई जाएगी.


राजनीतिक दलों के वित्तीय लेनदेन और टैक्स बेनिफिट की जांच


खबरों के मुताबिक करीब 250 पार्टियों ने 2005 से अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. ऐसे राजनीतिक दल इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल नहीं करते हैं. चुनाव आयोग ऐसे करीब 200 दलों की सूची CBDT यानि टैक्स विभाग को भेजेगा. सीबीडीटी सभी दलों के वित्तीय लेनदेन और टैक्स बेनिफिट की जांच करेगा.


आंकड़ों के मुताबिक करीब सात राष्ट्रीय राजनीतिक दल, 58 क्षेत्रीय दल हैं. इसके अलावा देश में 1786 ऐसे रजिस्टर्ड दल हैं जिनकी कोई पहचान नहीं है. ऐसे में फर्जी राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द हो सकती है. आपको बता दें कि चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों को अमान्य करने का अधिकार है.



काले धन को सफेद करने का काम

दरअसल आयोग को शक है कि ऐसी पार्टियों से जुड़े लोग काले धन को सफेद करने का काम करते हैं. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद-हापुड़ इलाके में करीब 30 ऐसे दल हैं जिनको मान्यता नहीं मिली है. नोएडा में भी ऐसी कई राजनीतिक पार्टियां हैं.


एबीपी न्यूज़ आज उन तमाम राजनीतिक पार्टियों की पड़ताल कर रहा है जो चुनाव आयोग में रजिस्टर तो हैं लेकिन वों कहां, क्यों और कैसे चलती हैं इसका कोई हिसाब नहीं.


जय हिंद जय भारत, गाजियाबाद

यूपी के गाजियाबाद में संजयनगर इलाके में एक फ्लैट पर जय हिंद जय भारत पार्टी का बोर्ड टंगा है. एबीपी न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पहले इस पार्टी का नाम वंचित जमात पार्टी हुआ करता था. 2007 में पार्टी रजिस्टर हुई थी. 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में कुछ उम्मीदवार भी उतारे. पर इसी साल जुलाई में नाम बदल दिया. और अब 2017 के चुनाव की तैयारी कर रहे हैं.


ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि चुनाव लड़ने का खर्च कहां से आता है, चंदा कौन और कैसे देता है? इसपर जय हिंद जय भारत पार्टी के महासचिव अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए छोटे मोटा चंदा ही आता है.


भारतीय कौटिल्य सेना, गाजियाबाद

गाजियाबाद के राजनगर में भारतीय कौटिल्य सेना नाम की पार्टी का दफ्तर है. अंदर जाने पर एक कमरे में बैठे मिले सुबोध शर्मा जो खुद को इस पार्टी का अध्यक्ष बताते हैं. उनके मुताबिक 2 साल पहले उन्होने गरीबों, किसानों और मजदूरों के हक की लड़ाई के लिए ये पार्टी बनाई लेकिन अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. दफ्तर की हालत तो अच्छी है लेकिन कह रहे हैं कि कोई चंदा नहीं देता.


जन लोकमत पार्टी, गाजियाबाद

राजनीतिक पार्टियों की पड़ताल पर निकले एबीपी न्यूज़ के संवाददाता डासना के देहात में पहुंचे तो एक इमारत की पहली मंजिल पर जन लोकमत पार्टी का दफ्तर मिला. अंदर जाने पर उनकी मुलाकात पार्टी के अध्य़क्ष नजर चौधऱी से हुई. नजर चौधऱी का कहना है कि पहले वो कांग्रेस में थे टिकट नहीं मिला इसलिए अपनी पार्टी बना ली. उनके मुताबिक 2012 के यूपी चुनाव में उनकी पार्टी से 25-30 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और अब 2017 में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है.