नई दिल्ली: बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को आज चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देना है. दरअसल पिछले हफ्ते साक्षी महाराज ने जनसंख्या नियंत्रण पर भाषण के दौरान कथित तौर पर धर्म विशेष को जनसंख्या के लिए जिम्मेदार बताया था. अब उसी विवादित बोल पर साक्षी महाराज को जवाब देना है.
मेरठ में संत समाज के बीच 6 जनवरी को बीजेपी सांसद ने कहा था कि ‘चार पत्नियों और 40 बच्चों की बात करने वाले जनसंख्या की समस्या के लिए जिम्मेदार हैं. साक्षी महाराज का यही बयान उनके लिए मुसीबत की जड़ बना हुआ है. इसी बयान की वजह से अब उन्हें चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देना है.
चुनाव आयोग ने कहा है कि साक्षी महाराज की टिप्पणी पहली नजर में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. आयोग ने साक्षी से पूछा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए? हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार धर्म या जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकते.
क्या है चुनाव आचार संहिता?
- देश में आदर्श आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले 1960 में केरल के विधानसभा से हुई थी.
- इसके बाद 1962 के लोकसभा चुनावों में आचार संहिता के नियम सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बताए गए.
- 1991 में आचार संहिता को देश में पहली बार बड़ी मजबूती दी गई.
- 1994 में चुनाव आयोग ने आचार संहिता तोड़ने पर पार्टी की मान्यता तक रद्द करने का नियम बनाया.
चुनाव आचार संहिता कहती है-
- पार्टी या प्रत्याशी दो धर्मों को बांटने वाली बात नहीं कह सकता.
- वोट के लिए जाति-धर्म पर आधारित बात नहीं बोल सकता.
- वोटर को रिश्वत देकर, डरा-धमकाकर वोट नहीं मांग सकता.
- किसी भी पब्लिक मीटिंग-जुलूस से पहले पार्टी-प्रत्याशी को स्थानीय प्रशासन से इजाजत लेनी होगी.
- सत्ताधारी पार्टी सरकारी दौरे को चुनावी इस्तेमाल में नहीं ला सकतीं.
- सरकारी इमारत, गाड़ी, हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं हो सकता.
लेकिन इतने नियमों के बाद भी आज आचार संहिता धड़ल्ले से तोड़ी जा रही है और आचार संहिता तोड़ने वालों का बाल भी बांका नहीं होता.