नई दिल्ली: चुनाव अयोग द्वारा प्रस्तावित ईवीएम हैकिंग चुनौती का कार्यक्रम शनिवार को तय समय पर सुबह 10 बजे शुरु हो गया. आपको बता दें कि ईवीएम को हैक करने की चुनौती में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और सीपीआई (एम) भाग ले रहे हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक ईवीएम चैलेंज में भाग लेने वाले दोनों ही दल केवल ईवीएम के तकनीकी पहलुओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं, किसी तरह की छेड़छाड़ या चुनौती देने के इच्छुक नहीं दिख रहे.


दो अलग-अलग हॉल में एक साथ होगी हैकिंग चुनौती


निर्वाचन आयोग ने अपने कदम की संवैधानिक वैधता पर उठाए गए सवाल को उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद शुक्रवार रात कहा कि ईवीएम चुनौती प्रदर्शन शनिवार को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगा.


भारतीय निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने कहा, "ईवीएम चुनौती अपने निर्धारित तारीख पर है. यह सुबह 10 बजे शुरू होगी और दोपहर 2 बजे तक चलेगी. एनसीपी और सीपीआई (एम) ने अपने तीन-तीन प्रतिनिधियों को नॉमिनेट किया है. यह चुनौती दो अलग-अलग हॉल में एक साथ होगी."


चुनाव आयोग ने यूपी, पंजाब और उत्तराखंड से मंगाईं 14 EVM


चुनाव आयोग ने शनिवार की ईवीएम चुनौती के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के ‘स्ट्रांग रूम’ से 14 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम मंगाई हैं जिनका उपयोग हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में किया गया था.


चुनाव आयोग ने यह चुनौती तब दी जब कई बड़े विपक्षी राजनीतिक दलों ने दावा किया कि ईवीएम से लोगों का विश्वास उठ गया है. आपको बता दें कि बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि हाल के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ की गई थी और इनके जरिए बीजेपी को लाभ पहुंचा.


EVM हैकिंग के लिए चार-चार घंटे का समय


निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों के चलते आरोप लगाने वाले दलों को चुनौती दी कि वे यह साबित करके दिखाएं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है. आयोग की इस चुनौती के बाद केवल एनसीपी और सीपीआई (एम) ही चुनौती में भाग लेने के लिए आगे आईं. चुनौती प्रदर्शन में शामिल होने वालों को चार-चार घंटे का समय मिलेगा.


कोर्ट ने खारिज की जनहित याचिका


उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग की ईवीएम चुनौती की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया और कहा कि वोटिंग मशीनों पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है.


उत्तराखंड कांग्रेस के एक नेता की जनहित याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति शरद शर्मा की खंडपीठ ने ईवीएम चुनौती को हरी झंडी दे दी. याचिका में चुनाव आयोग के कदम की संवैधानिक त्रुटिहीनता को चुनौती दी गई थी.


निर्वाचन आयोग को ईवीएम चुनौती पर आगे बढ़ने की अनुमति देते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि जनता के व्यापक हित में सभी राष्ट्रीय, राज्य और अन्य राजनीतिक दलों, एनजीओ, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रेस, रेडियो, सोशल मीडिया और अन्य मंचों को हाल के राज्य विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल ईवीएम की आलोचना करने से तब तक के लिए रोक दिया गया है जब तक कि कोर्ट में लंबित चुनाव संबंधी याचिकाओं पर फैसला नहीं आ जाता.


निर्वाचन आयेाग एक संवैधानिक इकाई


पीठ ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के सफल आयेाजन के बाद निर्वाचन आयोग को नकारात्मक अटकलों का विषय बना दिया गया है. कोर्ट ने रेखांकित किया कि ईवीएम बनाने का काम सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है और निर्वाचन आयेाग एक संवैधानिक इकाई है. इसने कहा कि इसलिए ईवीएम के सही से काम करने पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है और इसलिए शनिवार को किया जाने वाला प्रदर्शन-चुनौती निर्वाचन आयोग के विशेषाधिकार पर छोड़ दिया जाना चाहिए.


याचिकाकर्ता रमेश पांडेय ने तर्क दिया था कि चुनाव आयोग का कदम संविधान के अनुच्छेद 324 के विपरीत है और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 80 (ए) के अनुसार केवल हाई कोर्ट को इस तरह का हैकॉथन कराने का विशेषाधिकार है.