लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक बार बिजली के दाम बढ़ाए जाने को लेकर खलबली मच गई थी. यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड ने बिजली के दाम प्रति यूनिट 66 पैसे बढ़ा दिए. हालांकि, मामला संज्ञान में आने पर नियामक आयोग ने कोर्ट में याचिका दायर खिल की और बढ़े हुए दामों पर रोक लगा दी. इस खबर के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही अफरातफरी मच गई. हालांकि, यूपीपीसीएल अब भी दाम बढ़ाने पर अड़ा हुआ है. इसके पीछे उसने तर्क दिया था कि कोयला और तेल के दामों में बढ़ोतरी के कारण ये दरें बढ़ाई गई हैं. यही नहीं, ये दरें जनवरी महीने के बिल से ही लागू कर दी गई थीं.


दरअसल, यूपीपीसीएल ने नियामक आयोग की मंजूरी के बिना ही दाम बढ़ा दिए थे, जिस पर आयोग ने आपत्ति जताई. बढ़ी हुई दरों का असर सभी उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला था, जिसमें घरेलू व कॉमर्शियल दोनों ही उपभोक्ता आएंगे.


आयोग के चेयरमैन आर.पी. सिंह ने पूरे मामले पर चर्चा के बाद यह फैसला सुनाते हुए सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों सहित चेयरमैन पावर कार्पोरेशन को अविलंब बढ़ोतरी के आदेश पर रोक लगाने निर्देश जारी कर दिया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि आयोग जब तक इस पूरे मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता है, पावर कार्पोरेशन कोई भी कार्यवाही नहीं करेगा.


बता दें कि इससे पहले घरेलू बिजली की दरों में आठ से 12 फीसदी तक इजाफा किया गया है. दो साल के बाद बिजली के रेट बढ़ाए गए हैं. इससे पहले साल 2017 में बिजली के दाम बढ़े थे.


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