आरा: बिहार पुलिस की बंदूकें धोखेबाज हैं. आरा के रहने वाले शहीद सीआरपीएफ जवान रमेश रंजन को आखिरी विदाई के दौरान बिहार पुलिस की बंदूकों एक बार फिर बेबस नजर आईं. ये पहला मौका नहीं है. पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा की अंतिम विदाई के दौरान भी बिहार पुलिस बंदूकों की बस प्रदर्शनी ही लगा सकी थी.


फायर का एलान होता है तो गोली चलने की आवाज आती है. लेकिन किसी पुलिस वाले का हाथ न तो ट्रिगर को दबा रहा है और न ही मैगजीन बदल रहा है. बिहार के आरा में आज शहीद रमेश को अंतिम विदाई दी गई. पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों के साथ गांव वाले अंतिम यात्रा में शामिल हुए. सीआरपीएफ के जवान भी मौजूद थे.


पुलिस के जवानों को बंदूक कंधे पर रखने का दिखावा करना पड़ा


राज्य के मंत्री से लेकर पुलिस और सीआरपीएफ के जवान गांव पहुंचे थे. पूरा माहौल गमगीन था और इस माहौल में जब शहीद को विदाई देने के लिए राजकीय रस्म की शुरुआत हुई तो बिहार पुलिस के जवानों की बंदूकें गच्चा दे गईं. नतीजा हुआ कि बिहार पुलिस के जवानों को बंदूक कंधे पर रखने का दिखावा करना पड़ा. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा की अंतिम विदाई के वक्त भी बिहार के पुलिस वालों की बंदूकें नहीं चल पाई थीं, उस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे. आज भी बिहार पुलिस की बंदूक ने नाक कटवा दी.


बता दें कि बुधवार को जम्मू-कश्मीर के परमपोरा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के दस्ते पर आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. इसके बाद एनकाउंटर में सीआरपीएफ के जवान रमेश रंजन घायल हो गए बाद में उन्होंने दम तोड़ दिया. उनकी शहादत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए एलान किया था कि जवान का अंतिम संस्कार पूरे पुलिस सम्मान के साथ किया जाएगा.


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