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मेरठ: कोरोना से बचाव के लिए कैंट बोर्ड के इंजीनियर्स ने बनाया रोबोट, बाहर से आने वाले फाइलों को करता है सेनिटाइज

आठ हजार रुपये की लागत से इस रोबोट को तैयार किया गया है. इसका काम बाहर से आने वाले डाक और फाइलों को सेनिटाइज कर टेबल तक पहुंचाना है.

मेरठः अनलॉक-1 के दौरान जहां सभी सरकारी कार्यालयों को खोल दिया गया है. वहीं इन कार्यालयों में बाहरी व्यक्तियों की आवाजाही और बाहर से आने वाली डाक कर्मचारियों के लिए संक्रमण का खतरा बना हुआ है. अपने कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए मेरठ छावनी परिषद के सीईओ चव्हाण प्रसाद ने एक बेहतर प्रयास किया है. इसके तहत छावनी परिषद के इंजीनियर्स ने एक अनूठी रोबोट मशीन तैयार की है.

यह रोबोट मशीन छावनी कार्यालय में बाहर से आने वाली डाक और फाइलों को ऑटोमेटिक सेनिटाइज करते हुए कर्मचारियों और अधिकारियों की टेबल तक पहुंचा रही है. छावनी परिषद के सीईओ चव्हाण प्रसाद ने बताया कि कर्मचारियों में संक्रमण के खतरे को देखते हुए उन्होंने कार्यालय के एई पीयूष गौतम को इस प्रकार की मशीन बनाए जाने के निर्देश दिए थे.

एई पीयूष गौतम ने बताया कि उन्होंने कार्यालय के कुछ कर्मचारियों और एक रेडियो टेक्नीशियन और सॉफ्टवेयर टेक्नीशियन की मदद से मात्र आठ हजार की लागत में यह मशीन तैयार की है. इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें फाइलों और दस्तावेजों को रखने के बाद मशीन में लगी अल्ट्रावॉयलेट लाइट से फाइलें और दस्तावेज स्वत: ही सैनिटाइज हो जाते हैं. यह रोबोट मशीन दफ्तर में फाइलों को इधर से उधर पहुंचाने का काम कर रही है, जिससे फाइलों को हाथ लगाने पर कर्मचारियों में भी संक्रमण का खतरा नहीं है.

कोई कर्मचारी जैसे ही फाइल उठाने के लिए रोबोट मशीन में हाथ डालता है तो मशीन की अल्ट्रा वॉयलेट लाइट्स अपने आप ही बंद हो जाती हैं. छावनी परिषद के सीईओ चव्हाण प्रसाद के मुताबिक उन्होंने 'मेक इन इंडिया' के तहत अपने विभाग के इंजीनियर्स को यह मशीन बनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. इसे विभाग के इंजीनियर्स ने बखूबी अंजाम दिया. अब यह मशीन छावनी परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है. छावनी के अधिकारियों ने इस रोबोट मशीन को बनाकर अन्य छावनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम की एक अच्छी नजीर पेश की है.

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