लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अपनी करारी हार के कारण तलाश रही समाजवादी पार्टी के विधायकों ने भी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में छेड़छाड़ के बीएसपी सुप्रीमो मायावती और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आरोपों के सुर में सुर मिलाते हुए मांग की है कि भविष्य में होने वाले चुनावों में ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल हो.
भविष्य में सभी चुनाव बैलेट पेपर के जरिए ही कराये जाने की मांग
एसपी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि विधानसभा चुनाव में नवनिर्वाचित विधायकों की आज पार्टी राज्य मुख्यालय पर हुई बैठक में विधायकों ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी का आरोप लगाया. साथ ही मांग की कि भविष्य में सभी चुनाव बैलेट पेपर के जरिये ही कराये जाने चाहिये. हालांकि हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव को रद्द करने की मांग नहीं उठी.
उन्होंने बताया कि बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों ने कहा कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में जिन तरीकों का इस्तेमाल किया, वे लोकतंत्र के लिये खतरा हैं. बीजेपी ने ईवीएम में गड़बड़ी करवाकर चुनाव जीता है. इस आरोप को साबित करने के लिये तमाम सुबूत इकट्ठा किये जाने चाहिये. बैठक में अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव समेत एसपी के सभी नवनिर्वाचित विधायक मौजूद थे.
ईवीएम से छेड़छाड़ किये जाने का आरोप
आपको बता दें कि बीएसपी प्रमुख मायावती ने 11 मार्च को आए विधानसभा चुनाव के परिणाम में अपनी पार्टी की करारी शिकस्त के बाद ईवीएम से छेड़छाड़ किये जाने का आरोप लगाया था. उन्होंने बीजेपी को चुनौती दी थी कि अगर वह वाकई सही है तो बैलेट पेपर्स का इस्तेमाल कराकर चुनाव लड़े.
मायावती ने ईवीएम मामले में अपनी लड़ाई को और तेज करने वाला बयान देते हुए कल कहा था कि वह ईवीएम में छेड़छाड़ के खिलाफ अदालत जाएंगी और उनकी पार्टी अब हर महीने की 11 तारीख को ‘काला दिवस’ मनाएगी. हाल में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में एसपी 47 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है. वहीं, बीएसपी को मात्र 19 सीटें ही मिली हैं.
ईवीएम से छेड़छाड़ की कोई सम्भावना ही नहीं: चुनाव आयोग
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी कहा था कि ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका की वजह से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी चुनाव में इसके इस्तेमाल के खिलाफ थे. इस बीच, चुनाव आयोग ने आज एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की कोई सम्भावना ही नहीं है, क्योंकि इस्तेमाल से पहले सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में उसका निरीक्षण किया जाता है और उन सभी नुमाइंदों के संतुष्ट होने के बाद उनके द्वारा हस्ताक्षरित सील वाली ईवीएम को ही मतदान के लिये इस्तेमाल किया जाता है.
आयोग के अनुसार कई दल यह दलील दे रहे हैं कि कई देशों में ईवीएम का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन सचाई यह है कि भारत में और विदेश में इस्तेमाल की जा रही ईवीएम में मूलभूत अंतर यह है कि हिन्दुस्तान में प्रयोग की जा रही ईवीएम ‘स्टैंड अलोन’ मशीनें हैं और उन्हें इंटरनेट से हैक नहीं किया जा सकता. इसके अलावा उसमें जो चिप लगी होती है, उसकी प्रोग्रामिंग मशीन के निर्माण के वक्त ही की जा सकती है. उसके बाद उसमें कुछ नहीं किया जा सकता.