लखनऊ: गर्मियों का मौसम आ चुका है इसी के साथ सबको इंतजार है फलों के राजा कहे जाने वाले आम का. इस इंतजार के बीच एक आशंका भी है कि क्या लॉकडाउन की वजह से कहीं आम की फसल पर असर तो नहीं पड़ने वाला है. हर तरफ मजदूरों की कमी की बात आ रही है, कीटनाशक की कमी की आशंका भी चर्चा में है, ऐसे में क्या वाकई आम उगाने वाला किसान परेशान है और आशंका है कि लॉकडाउन का असर आम की फसल पर भी देखने को मिलेगा. इन्हीं सब सवालों का जवाब जानने आज आपको लखनऊ के मलिहाबाद लेकर चलेंगे. ये वो मलिहाबाद है, जो देश ही नहीं दुनियाभर में आम की फसल के लिए मशहूर है.
आम के पेड़ पर बौर फट चुकी है और छोटे छोटे टिकोरे टहनियों पर लटकते हुए देखे जा सकते हैं. बागों में कीटनाशक का छिड़काव हो रहा है और किसान आस लगाए हुए है कि 3 मई तक चलने वाला लॉकडाउन इससे आगे न बढ़े. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी बाजार में कीटनाशक भी आसानी से मिल रहे हैं और मजदूर भी उपलब्ध हैं. अभी पेड़ों पर टिकोरे ही लगे हैं इसलिए बहुत ज्यादा मजदूरों की जरूरत भी नहीं है. आम पकने का समय 15 मई के बाद शुरू होगा और तब मजदूरों की जरूरत ज्यादा पड़ेगी. 15 मई के बाद जब आम तोड़े जाने लगेंगे तब ट्रांसपोर्टेशन की भी आवश्यकता होगी. ऐसे में अगले एक महीने तक आम की फसल को लॉकडाउन का ज्यादा असर नहीं झेलना पड़ेगा.
लखनऊ में मलिहाबाद में ही आम के बाग में किसानी करने वाले उमेश यादव के मुताबिक अभी बाजार में कीटनाशक आसानी से मिल रहा है. घरों से बाग तक आने में भी कोई दिक्कत नहीं हो रही है. अभी पेड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव कराया जा रहा है ताकि फसल को नुकसान न हो. उन्होंने बताया कि अगर लॉकडाउन की समयसीमा 3 मई के बाद भी बढ़ी तो उनकी चिंता ज़रूर बढ़ जाएगी, लेकिन अभी कोई दिक्कत आम की फसल को लेकर नहीं है.
आपको बता दें कि मलिहाबाद लखनऊ के वो इलाका है, जहां किस्म किस्म के आम देश दुनिया में मशहूर हैं. यहां दशहरी, चौसा और लखनऊवा आम ज्यादा पैदा होता है. पहले मलीहाबादी आम भी उगाया जाता था लेकिन अब उसकी पैदावार बहुत कम हो गई है. अगर बात करें पूरे प्रदेश की तो उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक जिले लखनऊ, अमरोहा, सम्भल, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर हैं.
लगभग ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न किस्में उगाई जाती हैं. इनमें दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फाजली, मल्लिका, गुलाब खस और आम्रपाली प्रमुख हैं. यूपी से करीब हर साल ढाई सौ टन आम की सप्लाई दूसरे देशों की जाती है. इस बार आम की फसल में थोड़ी दिक्कत शुरुआत में जरूर आई. जनवरी में ज्यादा सर्दी और मार्च महीने में असमय बारिश के कारण आम के बौर कम संख्या में और देर से निकले. ऐसे में अभी मौसम और सुविधाएं अनुकूल हैं. उम्मीद है कि 3 मई तक सब ठीक होगा और लॉकडाउन खत्म होने के बाद हम सबके हाथों में मीठा आम जरूर आएगा.
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