इंदौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर में बर्बर सामूहिक बलात्कार की शिकार आठ वर्षीय छात्रा के पिता ने गुरुवार को आरोप लगाया कि इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) के कर्मचारियों ने उसे यहां सरकारी मदद के तौर पर मिला फ्लैट खाली करने के लिए कहा है. मामले पर बवाल मचने पर राज्य की नवगठित कमलनाथ सरकार ने केंद्र की एक योजना के तहत बनी बहुमंजिला इमारत का यह फ्लैट बच्ची के परिवार के नाम विधिवत आवंटित कर दिया है.


पीड़ित बच्ची के पिता ने बताया, "हमें इंदौर में आईडीए की एक आवासीय योजना में करीब 200 वर्ग फुट का फ्लैट करीब पांच महीने पहले दिया गया था. आईडीए के चार-पांच कर्मचारी बुधवार को मेरे घर आये. उन्होंने हमें यह कहते हुए फ्लैट खाली करने का फरमान सुना दिया कि यह जगह हमारे नाम विधिवत आवंटित नहीं है.’’ उन्होंने कहा, "जिला प्रशासन ने हमें इंदौर के एक मंदिर परिसर में दुकान भी उपलब्ध करायी थी. लेकिन इसका भी दस्तावेजी तौर पर विधिवत आवंटन नहीं किया गया था."


सूत्रों ने बताया कि मामले की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों को फौरन उचित कदम उठाने के निर्देश दिये. इसके बाद आईडीए के एक संपदा अधिकारी ने गुरुवार को ही बाकायदा लिखित आदेश जारी कर इस फ्लैट को पीड़ित बच्ची के पिता के नाम आवंटित कर दिया.


यह फ्लैट तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत बनायी गयी बहुमंजिला इमारत में स्थित है. प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने पीड़ित बच्ची के परिवार को मदद के तौर पर यह फ्लैट मुहैया कराया था.


मंदसौर में दो युवकों ने एक बच्ची को 26 जून, 2018 की शाम स्कूल की छुट्टी के बाद कथित तौर पर लड्डू खिलाने का लालच देकर उस समय अगवा कर लिया था, जब वह पैदल अपने घर जा रही थी. अमानवीय दुराचार के बाद कक्षा तीन की छात्रा को जान से मारने की नीयत से उस पर धारदार हथियार से हमला भी किया गया था. वह 27 जून 2018 की सुबह शहर के बस स्टैंड के पास झाड़ियों में लहूलुहान हालत में मिली थी. पीड़ित बच्ची इंदौर के एक सरकारी अस्पताल में करीब तीन महीने तक भर्ती रही थी.


मामले के दोनों दोषियों इरफान उर्फ भैयू (20) और आसिफ (24) को अदालत ने 21 अगस्त 2018 को फांसी की सजा सुनायी थी. दोषियों द्वारा इस फैसले के खिलाफ की गयी अपील फिलहाल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है.


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