बुलंदशहर: बीजेपी सांसद और बीजेपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है. जिलाधिकारी के आदेश के बाद पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता ने सांसद, जिलाध्यक्ष समेत 5 नामजद और 35 अज्ञातों के खिलाफ कोतवाली नगर में केस दर्ज कराया है. एक कालोनी की दीवारें गिराने के मामले में यह केस दर्ज किया गया है. साल भर पहले इन दीवारों का निर्माण कराया गया था.
करीब साल भर पहले बुलंदशहर की डीएम कालोनी में एक महिला अफसर के साथ शोहदों ने मार्निगवॉक के दौरान छेड़छाड़ की थी. पुलिस इन शोदहों की गिरफ्तारी न कर सकी तो तत्कालीन डीएम रोशन जैकब ने कालोनी की सुरक्षा का खुद बीड़ा उठाया और कालोनी के पीछे अलग-अलग इलाकों में खुलने वाली सात गलियों को बंद कराकर वहां दीवारें खड़ी करा दीं.
कालोनी के एंट्री गेटों पर लोहे के दरवाजे चढ़वा दिये गये. इस इंतजाम से पीछे के इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों ने डीएम के इस फैसले का विरोध भी किया था. 11 नवम्बर 2018 रविवार की सुबह बीजेपी सांसद डॉ भोला सिंह और बीजेपी जिलाध्यक्ष हिमान्शु मित्तल ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ ट्रैक्टर-ट्राली और हैमर लेकर इन दीवारों के पास पहुंचे और करीब आधा घंटे में 7 में से 5 दीवारें ढहा दीं.
बीजेपी नेताओं की यह हरकत सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई. जिलाधिकारी अनुज झा को जब यह जानकारी हुई तो उन्होने पीडब्लूडी के अफसरों को बुलाकर इस मामले में केस दर्ज कराने के आदेश दे दिया. सीसीटीवी फुटेज और फोटोग्राफ्स के आधार पर बीजेपी सांसद डॉ भोला सिंह, बीजेपी जिलाध्यक्ष हिमान्शु मित्तल, भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीराज समेत 5 लोग नामजद किये गये हैं.
इन सभी के खिलाफ पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता पवन कुमार ने मुकदमा पंजीकृत कराया है. जिन धाराओं में मामला दर्ज किया गया है उनमें 10 साल अधिक की सजा का प्रावधान है.
केस में आरोपी बनाये गये बीजेपी जिलाध्यक्ष हिमान्शु मित्तल का कहना है कि इस मामले में जनता के द्वारा लंबे वक्त से सार्वजनिक रास्ते खोलने की मांग की जा रही थी. ये रास्ते 50 से भी ज्यादा साल पहले से आमजन के इस्तेमाल में थे. डीएम को इस बाबत एक प्रार्थनापत्र दो महीने पहले दिया गया था. मगर अफसरों ने जनता की आवाज नहीं सुनी. आक्रोशित लोगों ने दीवारें तोड़ दीं. सार्वजनिक रास्ते बंद नहीं किये जा सकते, यह जनता का अधिकार है. जो केस दर्ज कराये गये हैं उनका मुकाबला करेगें.
बीजेपी सांसद डॉ भोलासिंह ने बताया कि देवीपुरा इलाके में लाखों लोगो की आबादी रहती है. ये रास्ते शहर तक आने का आसान साधन थे जिन्हें अफसरों ने अपनी तानाशाही के चलते बंद करा दिया था. अफसरों की निरंकुशता के खिलाफ जनता ने आवाज उठाई और यह दीवारें तोड़ी हैं. जहां तक मेरे खिलाफ केस दर्ज कराये जाने का प्रश्न है, ऐसे एक हजार मुकदमे झेलने के लिए भी तैयार हूं. अफसरों की शासन से शिकायत की जायेगी.
जिलाधिकारी अनुज झा का कहना है कि डीएम कालोनी के निवासी अफसर और कर्मचारी आपराधिक वारदातों से त्रस्त थे इसलिए पूर्व डीएम ने दीवारें खड़ी कराई थीं. ये सार्वजनिक रास्ते नहीं है. जिन लोगों ने कानून हाथ में लिया है उनके खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई कराई जा रही है. दीवारें पुन: खड़ी कराये जाने के आदेश दे दिये गये हैं.