सेंट्रल युनिवर्सिटी में हुई हिंसा के मामले में चार सौ छात्रों के खिलाफ FIR, 11 भेजे गए जेल
इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी ने पिछले साल की तरह इस बार भी सभी हॉस्टलों को खाली कराने का फैसला किया था. छात्र पिछली बार की तरह इस बार भी इस फैसले का ज़बरदस्त तरीके से विरोध कर रहे थे. मंगलवार को तकरीबन चार हजार छात्रों ने कैम्पस से लेकर बाहर तक जमकर हंगामा किया.
इलाहाबाद : पूरब का आक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी में मंगलवार को हुई हिंसा के बाद आज दूसरे दिन शांति रही. बड़ी संख्या में पुलिस-पीएसी और आरएएफ की तैनाती की वजह से आज दूसरे दिन कोई बड़ी वारदात नहीं हुई. पुलिस ने मंगलवार को हुई हिंसा के मामले में ग्यारह छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इनमें से कई लोगों को इलाहाबाद से बाहर दूसरे जिलों की जेल में रखा गया है.
पुलिस ने कल हुई हिंसा और आगजनी के मामले में चार सौ से ज़्यादा छात्रों के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है. उधर दूसरी तरफ मंगलवार को हुई ज़बरदस्त हिंसा और छात्रों की नाराज़गी के चलते सेंट्रल युनिवर्सिटी प्रशासन ने हॉस्टलों के वाश आउट यानी उन्हें खाली कराने का अपना विवादित फरमान अगले आदेश तक के लिए वापस ले लिया है. युनिवर्सिटी प्रशासन अब हॉस्टलों को खाली नहीं कराएगा.
गौरतलब है कि इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी ने पिछले साल की तरह इस बार भी सभी हॉस्टलों को खाली कराने का फैसला किया था. छात्र पिछली बार की तरह इस बार भी इस फैसले का ज़बरदस्त तरीके से विरोध कर रहे थे. मंगलवार को तकरीबन चार हजार छात्रों ने कैम्पस से लेकर बाहर तक जमकर हंगामा किया. नाराज़ छात्रों ने रोडवेज बस और पुलिस की जीप समेत कई वाहनों में आगजनी की और कैम्पस में खड़े दर्जनों वाहनों में तोड़फोड़ की.
छात्रों ने पथराव कर जमकर हंगामा भी किया था. इस बारे में इलाहाबाद के एसएसपी नितिन तिवारी का कहना है कि युनिवर्सिटी प्रशासन ने जिला और पुलिस प्रशासन की जानकारी के बिना ही हॉस्टलों के वाश आउट का अभियान शुरू किया था. बहरहाल युनिवर्सिटी द्वारा वाश आउट अभियान स्थगित किए जाने से अफसरों ने अब राहत की सांस ली है.