लखनऊ: आगरा के जिलाधिकारी रहे जुहैर बिन सगीर के खिलाफ जमीन के एक प्रकरण में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है. इस प्रकरण में आगरा के थाना फतेहाबाद में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.


थाना फतेहाबाद इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि मामला सतर्कता अधिकारी प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा भ्रष्टाचार अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज कराया गया है.


प्रकरण के अनुसार सगीर के खिलाफ आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के लिए अपनी मौसेरी बहन के साथ मिलकर भ्रष्टाचार करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है.


आगरा में वर्ष 2013-14 में आईएएस जुहैर बिन सगीर डीएम रहे थे और उनके द्वारा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होनी थी. इसकी सगीर को जानकारी थी.


प्रकरण के मुताबिक उन्होंने कथित रूप से अधिसूचना जारी होने से पहले अपनी मौसेरी बहन खालिदा रहमान के नाम से पद का दुरुपयोग करते हुए फतेहाबाद के गांव तिबाहा में 695 हेक्टेयर और गांव स्वारा में 3460 हेक्टेयर जमीन खरीदवा दी.


इस जमीन का भूमि अधिग्रहण हो गया. इससे उनकी बहन खालिदा को 20 लाख 45 हजार रुपये का लाभ हुआ. इसी तरह से मुरादाबाद में भी सगीर की मौसेरी बहन खालिदा के नाम से जमीन खरीदी गयी.



मुरादाबाद में भी दर्ज हुआ मामला


मुरादाबाद के सरकारी जमीन घोटाले में पूर्व डीएम जुहैर बिन सगीर व रिटायर्ड एडीएम सिटी अरुण कुमार श्रीवास्तव समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. आईएएस अफसर जुहैर बिन सगीर वर्तमान में सचिव लघु सिंचाई के पद पर तैनात हैं. आरोप है कि नामजद अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए करीबियों को मोटा लाभ पहुंचाया था.


आरोपों के मुताबिक पिछले साल मूंढापांडे थाना क्षेत्र में पूर्व डीएम जुहैर बिन सगीर ने वक्फ की करोड़ों रुपए की जमीन को पद का दुरुपयोग करते हुए करीबियों के नाम करवा दिया था. बदले में वक्फ को काफी सस्ती जमीन दूसरी जगह दिलवा दी.


सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के हरथला में सीलिंग की जमीन के मामले में भी उन पर ऐसा ही करने का आरोप है. आरोप है कि पूर्व डीएम सगीर ने सीलिंग की जमीन छजलैट निवासी ज्ञानवती नामक महिला के नाम करवा दी थी. उसी से अपनी करीबी वरदा सगीर और खालिदा रहमान के नाम बैनामे करवा दिए जबकि ज्ञानवती को इसकी भनक तक नहीं थी.


जून 2017 में अधिवक्ता दुष्यंत चौधरी ने शासन में शिकायत की थी. इसी आधार पर मामले की जांच बरेली विजिलेंस को सौंपी गई थी. विजिलेंस इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार जांच कर रहे थे. आरोप सही पाए जाने पर मूंढापांडे और सिविल लाइंस थाने में पूर्व डीएम, पूर्व एडीएम सिटी समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.