पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) में पहली बार किसी सदस्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाते हुए निगरानी ब्यूरो ने एफआइआर दर्ज की है. रामकिशोर सिंह पर बीपीएससी की 56वीं से 58वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में एक उम्मीदवार से इंटरव्यू में पास कराने के लिए करीब 30 लाख रुपये मांगने का आरोप है. विजिलेंस टीम ने ऑडियो टेप की पुष्टि के बाद एफआईआर दर्ज किया गया है. उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिरोध अधिनियम की धारा 13 (1-डी), 7, 8, आइपीसी की धारा- 120 (बी) समेत अन्य धाराओं में निगरानी ब्यूरो ने सोमवार को एफआइआर दर्ज की है. यह केस मधुकर कुमार की विशेष अदालत में दर्ज किया गया है.


क्या है मामला?


रामकिशोर सिंह बीजेपी कोटे से 2006 से 2012 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे. बाद में 2013 में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. साल 2014 में उन्हें बीपीएससी का सदस्य बनाया गया. बीपीएससी के इंटरव्यू में किसी अभ्यर्थी को पास कराने की शर्त पर उन्होंने करीब तीस लाख रुपए घूस मांगा. अभ्यर्थी ने विजिलेंस ब्यूरो टीम से शिकायत की. विजिलेंस टीम ने शिकायत के बाद राम किशोर सिंह के कॉल को रिकॉर्ड करना शुरू किया. इसके बाद जाकर मामले का खुलासा हुआ. एफएसएल जांच में आवाज के नमूने मैच हुए जिसके बाद कार्रवाई की गयी है. इस मामले में राम किशोर सिंह के सहयोगी परमेश्वर राय का भी नाम सामने आया है. निगरानी ने तमाम साक्ष्यों को जुटाने के बाद एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को इसकी कॉपी भेज दी है.


राम किशोर सिंह ने नाम आने के बाद आयोग के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है. एबीपी न्यूज़ से की बातचीत में राम किशोर सिंह ने कहा कि राजनीतिक कारणों से इस्तीफा देना पड़ा है. अपने बचाव में उन्होंने कहा कि पैसे मांगने का सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि कानून पर भरोसा है और न्याय होगा. वहीं आवाज की रिकॉर्डिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर वो दोषी पाए गए तो राजनीति छोड़कर आत्महत्या कर लेंगे. फिलहाल राम किशोर सिंह पर भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. वहीं इसको लेकर कहीं न कहीं बीपीएससी पर पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं.