वाराणसी में बना नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पहला मंदिर, भारत माता की प्रार्थना के साथ होगी आरती
यह मंदिर सुभाष भवन के सामने अहाते में स्थित है और इसमें सुभाष चंद्र बोस की काले ग्रेनाइट से बनी एक आदमकद प्रतिमा है. मंदिर के चारों ओर की सीढ़ियों को लाल और सफेद रंग में रंगा गया है.इसका उद्घाटन वरिष्ठ आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार करेंगे.
वाराणसी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर बने एक मंदिर का उद्घाटन गुरुवार को होगा. गुरुवार को ही नेताजी की 123वीं जयंती भी है. यह मंदिर आजाद हिंद मार्ग पर सुभाष भवन में स्थित है. इसका उद्घाटन वरिष्ठ आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार करेंगे.
सूत्रों के अनुसार, मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में एक महिला होगी और सुबह की आरती भारत माता की प्रार्थना के साथ होगी.
यह मंदिर सुभाष भवन के सामने अहाते में स्थित है और इसमें सुभाष चंद्र बोस की काले ग्रेनाइट से बनी एक आदमकद प्रतिमा है. मंदिर के चारों ओर की सीढ़ियों को लाल और सफेद रंग में रंगा गया है.
मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. राजीव ने कहा, 'लाल रंग क्रांति का प्रतीक है जबकि सफेद शांति के लिए और काला ताकत के लिए है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- यह देश हमेशा नेता जी का आभारी रहेगा सुभाषचंद्र बोस की 123वी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारतीय साथियों की प्रगति और भले के लिए हमेशा डटे रहने वाले 'नेताजी' का यह देश हमेशा आभारी रहेगा. मोदी ने ट्विटर पर 1.55 मिनट का वीडियो साझा कर स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के योगदान के बारे में बताया और देश की स्वतंत्रता के लिए उनके समर्पण को याद किया.
मोदी ने कहा, "भारत, नेताजी सुभाषचंद्र बोस की बहादुरी और उपनिवेशवाद का विरोध करने में उनके योगदान का हमेशा आभारी रहेगा. वह अपने भारतीय साथियों के विकास और भलाई के लिए हमेशा डटे रहे."
मोदी ने नेता जी के पिता जानकीनाथ बोस द्वारा उनके जन्म के दौरान लिखी गई चिट्ठी को भी ट्वीट किया, पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने लिखा, "23 जनवरी 1897, जानकीनाथ बोस ने अपनी डायरी में लिखा था, 'मध्यरात्रि को एक बेटे का जन्म हुआ है.' यह बेटा एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी और विचारक बन गया, जिसने अपना जीवन एक महान - भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया. मैं नेताजी बोस की बात कर रहा हूं, जिन्हें हम आज उनकी जयंती पर गर्व से याद कर रहे हैं."
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे सुभाष अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे.
‘नेताजी’ हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे. वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदा सर्वदा असंदिग्ध और अनुकरणीय रही.
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