नई दिल्लीः बिहार में भारी बारिश के बाद कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है. समस्तीपुर, सुपौल, बेतिया, अररिया और दरभंगा सहित कई इलाकों में भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. मौसम चाहे कोई भी हो, प्राकृतिक आपदा का शिकार सबसे पहले बिहार ही होता है. नीतीश कुमार को सुशासन बाबू नाम दिया गया था मगर अब ये सिर्फ नाम बनकर रह गया है. गर्मी के मौसम में सूखे से तड़प रहा बिहार इस वक्त डूब रहा है. मानसून अभी अपने मिजाज में ढंग से आया भी नहीं और बिहार की सड़कें नदी बन गई हैं. तेज बहाव ने रास्तों को बंद कर रखा है. जानिए बिहार के किन इलाकों में बारिश ने रोजमर्रा की जिंदगी को ठप कर दिया है.
समस्तीपुर
नेपाल से छोड़े गए पानी और बिहार में हो रहे लगातार बारिश के बाद समस्तीपुर में भी नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है. नदियों के जलस्तर में वृद्धि के होने के साथ ही अब कटाव का खतरा भी बढ़ गया है. समस्तीपुर के गंडक नदी में जलस्तर के वृद्धि के साथ तेजी से कटाव हो रहे हैं और इस कटाव को लेकर लोगों में दहशत का माहौल है. समस्तीपुर जिले के दस प्रखंड में से सात प्रखंड पूर्ण रूप से बाढ़ प्रभावित हैं. लगातार हो रही बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के बाद समस्तीपुर से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक, बागमती, करेह और कमला नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. इसके कारण बूढ़ी गंडक में तेजी से कटाव हो रहा है.
समस्तीपुर मुख्यालय से सटे चकनूर पंचायत में बूढ़ी गंडक में हो रहे कटाव से लोगों में दहशत का माहौल है. वही बांध में बारिश के कारण जगह-जगह रेन कट हो रहे हैं. स्थानीय लोग प्रशासन से कटाव को रोकने की मांग कर रहे हैं. वही लोगों का बताना है कि अगर इसी रफ़्तार से जलस्तर में बढ़ोतरी होती रही तो आने वाले एक दो दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है. नदियों के जल स्तर में तेजी से हो रही वृद्धि के बाद बाढ़ की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से हर तरह की तैयारी पूरी कर लिए जाने का दावा किया जा रहा है. डीएम चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि बाढ़ के पूर्व सभी बांधों की मरम्मत करा ली गई है. बरसात के कारण जो रेन कट हो रहे हैं उसके लिए संबंधित विभाग को अविलंब कार्य कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. साथ ही नावों की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है.
सुपौल
नेपाल प्रभाग में लगातार बारिश होने से बिहार के सुपौल में कोसी नदी के तटबंध के अंदर सैकड़ों परिवार के घर जलसमाधि ले चुके हैं. हज़ारों घरों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. दरअसल इस साल शनिवार को कोसी नदी में 3 लाख 50 हज़ार क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़े जाने से तटबन्ध के लोगो के लिये बाढ़ का पानी आफ़त बनके आया, जिससे हज़ारों लोग को तटबंध और ऊँचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर होना पड़ा.
हालांकि आज बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने दरभंगा, मधुबनी, सीहोर, सीतामढ़ी और मोतिहारी के बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वे किया. इससे पहले उन्होंने बिहार में बाढ़ की स्थिति पर एक उच्च-स्तरीय बैठक भी संपन्न की.
सुपौल के कई जिले जलमग्न
कोसी के जलस्तर में वृद्धि होते ही सुपौल जिले के निर्मली, मरौना, किशनपुर, बसंतपुर, राघोपुर, सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड अंतर्गत तटबंध के भीतर बसे सैकड़ों गांवों में सैलाब का सितम है. हज़ारों घरों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है, किशनपुर प्रखंड के बौराहा, नौआबखार, सरायगढ़ प्रखंड के ढोली, बनेनिया, बलठरवा, सुपौल के गोपालपुर सिरे, बेरिया, सुरतिपत्ति, घूरन, डभारी, सहित मरौना और निर्मली प्रखंड के कई परिवार विस्थापित होके तटबंध पर शरण लिये हुये हैं.
वहीं कोसी नदी के बाढ़ का पानी से लोगों के गांव-घरों में कटाव तेज है, लोग पानी में दिन-रात गुजारने को विवश हैं. घर-आंगन में बाढ़ का पानी, बाढ़ के पानी में घर के चूल्हे-बर्तन और चापाकल डूबे पड़े है कि लोग खुद के घर में भोजन तक नही बना पा रहा है.
मोतिहारी
मोतिहारी में सुबह से लोग घरों में कैद हैं, आसपास के रास्ते तेज बहाव की चपेट में हैं. हालात इतने बुरे हैं कि अगर कोई इंसान बीमार हो जाये तो लोगों को कंधे पर ढो कर ले जाना पड़ेगा. इन सब के बीच सबसे ज्यादा बुरी हालत महिलाओं की है. ना कहीं आ पा रही न जा पा रही हैं. औरतों से बात करने पर उनका कहना था कि रसोई घर तेज बहाव में बह गया, झोपड़ी बह गई अब समझ नहीं आ रहा खाना कहा बनाएं.
एक तरफ सर्वदलीय बैठक कर के बिहार के सीएम नीतीश कुमार कह रहे हैं कि बाढ़-पीड़ित हमारी प्राथमिकता हैं वहीं लोगों के अनुसार सरकारी लोग पूछने तक नहीं आये.
सहरसा
बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड के पूर्वी तटबंध की स्थिति बारिश के कारण बेहद नाजुक हो रही है. लोग हलकान और परेशान हैं लेकिन तटबंध पर जिला प्रशासन के कोई अधिकारी अभी तक नही पहुंचे हैं. लगभग दर्जनों गांव में पानी घुस चुका है जिससे लोग परेशान होकर घर से भागने के लिए विवश हैं.
बेतिया
बेतिया पर बारिश की जबरदस्त मार पड़ी है. नेपाल की नदियों के रास्ते बेतिया में पहुंच रहा बारिश का पानी तांडव मचा रहा है. नदियों के उफान पर होने के चलते गांव से लेकर शहर तक पानी में डूबे हुए हैं. ऐसे हालात में लोगों के सामने पलायन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा. हालात ये हैं कि रेलवे ट्रैक भी पानी में डूब गए हैं. नरकटियागंज के कई गांव बाढ़ जैसे संकट से जूझ रहे हैं.
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