पटना: नीतीश कुमार की सरकार में समाज कल्याण मंत्री रही मंजू वर्मा ने आज बेगूसराय के मंझौल अनुमंडल कोर्ट में सरेंडर किया. जिसके बाद उन्हें एक दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मंजू वर्मा पर आर्म्स एक्ट का मुकदमा दर्ज है और पिछले तीन महीने से बिहार पुलिस को तलाश थी. फरारी की वजह से बिहार पुलिस ने पिछले दिनों उनके घर की कुर्की की थी.


सुप्रीम कोर्ट ने मंजू वर्मा के नहीं गिरफ्तार होने पर बिहार पुलिस की खिंचाई की थी. मंजू वर्मा जब समाज कल्याण मंत्री थी तो उसके और उसके पति पर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर की मदद करने का आरोप लगा था.


जिसके बाद आठ अगस्त को मंजू वर्मा को नीतीश कुमार की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था और पिछले दिनों नीतीश की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. पटना हाईकोर्ट ने मंजू वर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. पिछले माह बेगूसराय की एक अदालत ने मंजू वर्मा के खिलाफ वारंट जारी किया था.


मंजू वर्मा पर क्या-क्या आरोप हैं?
मंजू वर्मा के पटना और बेगूसराय स्थित आवासों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के छापे के दौरान 50 जिंदा कारतूस बरामद किए थे, जिसके बाद से वर्मा पर हथियार अधिनियम के तहत गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी.


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आरोप है कि मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से उनके पति के करीबी रिश्ते हैं. मंजू मीडिया के सामने कह चुकी हैं कि वह खुद बालिका आश्रय गृह (शेल्टर होम) में जाया करती थीं और उनके पति बाहर कार में बैठे रहते थे. इस बालिका आश्रय गृह में 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई है.


पति को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है पुलिस
करीब एक माह तक फरार रहे मंत्री के पति चंद्रशेखर वर्मा ने 29 अक्टूबर को कोर्ट में सरेंडर किया था. ब्रजेश ठाकुर फिलहाल मुजफ्फरपुर जेल में बंद है. वह स्थानीय अखबार 'प्रात:कमल' का संचालक भी था. उसके इस छोटे अखबार को नीतीश सरकार से करोड़ों रुपये के विज्ञापन मिलते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ब्रजेश को पंजाब की पटियाला जेल भेज दिया गया है.