लखनऊ: असम में जारी हुए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर सड़क से लेकर संसद हंगामा मचा हुआ है. इसी को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ''सबको स्वीकार करने की भावना, सहिष्णुता और वसुधैव कुटुम्बकम हमारी संस्कृति के मूल मूल्य हैं. इसीलिए हमें नागरिकता के विषय पर मानवीय पहलू को समझकर ही कोई निर्णय करना चाहिए, लेकिन इसमें न तो राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता होना चाहिए और न ही कोई संकीर्ण राजनीतिक सोच या तुच्छ लक्ष्य.''
बता दें कि विपक्ष पुरजोर तरीके से एनआरसी के मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रहा है वहीं सरकार कह रही है कि सबकुछ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ इसलिए कुछ भी गलत नहीं है. राज्यसभा में पिछले तीन दिन से इस मुद्दे पर हंगामा हो रहा है. इसपर बीजेपी सांसद परेश रावल ने भी विपक्ष पर तंज किया है.
परेश रावल ने ट्विट पर तंज करते हुए लिखा कि 2019 का पहला रुझान आ गया है, 'विपक्ष ''40 लाख '' वोटों से पीछे चल रहा है.' बता दें कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी एनआरसी का विरोध कर रही है. ममता ने बीजेपी पर एनआरसी के जरिए वोटबैंक की पॉलीटिक्स का आरोप भी लगाया है.
दरअसल असम में सोमवार को नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन की दूसरी ड्राफ्ट लिस्ट का प्रकाशन कर दिया गया. जिसके मुताबिक कुल तीन करोड़ 29 लाख आवेदन में से दो करोड़ नवासी लाख लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब चालीस लाख लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं. NRC का पहला मसौदा 1 जनवरी को जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे. दूसरे ड्राफ्ट में पहली लिस्ट से भी काफी नाम हटाए गए हैं.
नए ड्राफ्ट में असम में बसे सभी भारतीय नागरिकों के नाम पते और फोटो हैं. इस ड्राफ्ट से असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को बारे में जानकारी मिल सकेगी. असम के असली नागरिकों की पहचान के लिए 24 मार्च 1971 की समय सीमा मानी गई है यानी इससे पहले से रहने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.