नई दिल्लीः कोलकाता से बनारस के लिए चला मालवाहक पानी का जहाज बनारस पहुंच गया है. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औपचारिक रूप से बनारस में रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही गंगा नदी में मालवाहक जहाजों के ज़रिए माल ढोने का काम शुरू हो जाएगा.


30 अक्टूबर को कोलकाता से चला था बार्ज
बनारस के रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल पर खड़ा बार्ज यानी पानी का जहाज कोलकाता से पेप्सी कंपनी का तकरीबन 300 टन माल लेकर आया है. ये माल 16 कंटेनर में लदा हुआ है. गंगा नदी में पानी के जहाज के ज़रिए माल ढुलाई का सपना मोदी सरकार ने देखा था. जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी इस सपने को साकार कर दिखाया है. इस सपने को साकार करने में ओसियन व्हेल शिपिंग कंपनी ने अहम भूमिका निभाई है. इन्हीं की कंपनी ने पेप्सी कंपनी के लेज़ चिप्स को 16 कंटेनर में लाद कर कोलकाता से बनारस पहुचाया है. इस कंपनी के निदेशक सूरज प्रकाश ने बताया कि 30 अक्टूबर को ये बार्ज कोलकाता से चला था और 7 नॉटिकल माइल प्रति घंटे की रफ्तार से ये बार्ज 1400 किलोमीटर का सफर तय कर 7 नवम्बर को बनारस पहुंच गया था.


रामनगर इलाके में बनाया गया है जेट्टी
बनारस के रामनगर इलाके में पानी के जहाज के लिए जेट्टी बनाया गया है. नदी से जेट्टी की ऊंचाई 60 फीट है. इस जेट्टी का नाम रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल रखा गया है. 220 मीटर लंबे इस जेट्टी में चार मालवाहक जहाज आसानी से खड़े होकर माल का लदान और उतार कर सकते हैं. माल को लोड और डाउन लोड करने के लिए जर्मनी के कंपनी के दो क्रेन जेट्टी पर लगाई गई है. 150 फ़ीट ऊंची ये क्रेन इतनी ताकतवर हैं कि जेट्टी से खड़े खड़े गंगा नदी के भीतर 34 मीटर तक की दूरी से 70 टन सामान उठा सकती है. रामनगर टर्मिनल पर दो ऐसी क्रेन हैं एक कंटेनर उठाने और रखने के लिए हैं जबकि दूसरी खुला माल जैसे कोयला ,रेत जैसे समान की ढुलाई और लदान के लिए हैं.


पानी के जहाज के ज़रिए माल ढुलाई बेहद सस्ती
पानी के जहाज के ज़रिए माल ढुलाई बेहद सस्ती पड़ती है. आम तौर पर सड़क के ज़रिए प्रति टन प्रति किलोमीटर माल की ढुलाई की लागत 2 रुपये 50 पैसे यानी ढाई रुपये तक आती है जबकि ट्रेन यानी मालगाड़ी के ज़रिये माल ढुलाई का खर्चा एक रुपये 25 पैसे तक प्रति टन प्रति किलोमीटर पड़ता है. जबकि नदी के ज़रिए माल ढुलाई का खर्चा 50 पैसे प्रति टन प्रति किलोमीटर पड़ता है. इस तरह गंगा नदी में मालवाहक जहाज चलाने से न केवल माल ढुलाई सस्ती होगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे.


कोलकाता से बनारस तक बार्ज यानी पानी का जहाज लाने वाले कैप्टन इंद्रवीर सिंह सोलंकी कहते हैं कि 300 टन के जहाज को बनारस तक लाने के लिए वाटर वेज की गहराई एक से डेढ़ मीटर ही चाहिए थी जबकि गंगा में कहीं कहीं गहराई 10 से 25 मीटर तक है. गंगा में 3000 टन तक सामान से लदे जहाज आसानी से चल सकते हैं. आने वाले समय में जब ट्रैफिक बढ़ेगा तो बड़े जहाज भी गंगा जी में चलेंगे तब माल ढुलाई और भी सस्ती हो सकती है.


अभी इस जहाज को कोलकाता से बनारस तक लाने में प्रति टन प्रति किलोमीटर 1 रुपये के आसपास आई है जो कि रेल से होने वाली माल ढुलाई से भी सस्ता है यानी अगर गंगा में माल ढुलाई का प्रोजेक्ट सफल रहा तो समान सस्ता हो सकता है. लेकिन जानकर कहते हैं इसके लिए दो टर्मिनल के बीच व्यापारिक केंद्र या इंड्रस्ट्रियल क्लस्टर होना भी ज़रूरी है. इसके अलावा अगर एन्ड तो एन्ड माल की ढुलाई और डिलिवरी करने वाली कंपनी आगे आए तो व्यापारिक केंद्रों की शर्त भी फीकी पड़ जाएगी. यानी सामान बनाने वाली कंपनी से लेकर सामान को ग्राहक केंद्र तक पहुंचाने वाली कंपनी नदी के ज़रिए माल ढुलाई को और विस्तार देगी.