बुलंदशहर: बुलंदशहर के चिंगरावठी पुलिस चौकी पर गोकशी के बाद हुई आगजनी, हिंसा के मामले में अदालत ने 27 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए है. 27 में से 21 अभियुक्त हिंसा के मामले में नामजद है. उनमें से अबतक 17 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
बता दें बुलंदशहर हिंसा में पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं. उनमें से एक मामला गोकशी और दूसरा हत्या का है. बुलंदशहर में कथित तौर पर गोवंशी जानवरों के अवशेष मिलने के बाद हिंसा भड़क गई थी. उपद्रव को नियंत्रण में करने पहुंची पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध को गोली मार दी गई. गोली इंस्पेक्टर सुबोध के सिर में लगी थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.
हाल ही में सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन मामले के मुख्य आरोपी योगोश राज और शिखर अग्रवाल अब भी पुलिस के हाथ नहीं आए हैं. कुछ दिनों पहले योगोश राज और शिखर अग्रवाल ने दोनों ने वीडियो जारी कर खुद को बेकसूर बताया था.
एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बात करते हुए शिखर अग्रवाल ने कहा कि उसने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह या किसी और की हत्या नहीं कराई. ये उन्मादी भीड़ का काम था, जब खेत में गोकशी की सूचना मिली थी और वो लोग वहां पहुंचे तो वहां गौमाता के अवशेष पड़े हुए थे. इसके बाद उसके साथ के कई लोगों वहां इक्ट्ठे हो गए. घटनास्थल पर शुरुआत में करीब 80 लोग थे जो बाद में बढ़ गए. एक घंटे तक कार्रवाई न होने के बाद भीड़ का हंगामा बढ़ गया. शिखर अग्रवाल का कहना है कि उसने और गुरूजी ने भीड़ को समझाने की कोशिश की लेकिन किसी ने नहीं सुना, पुलिस अधिकारी भी बात नहीं कर रहे थे. न ही सीनियर पुलिस अधिकारियों को बुलाया जा रहा था.
शिखर अग्रवाल ने कहा कि इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने गड्ढ़ा खोदकर गाय के अवशेष दफना देने के लिए कहा जिसके लिए उसने मना कर दिया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अगर अवशेष दफना देते तो गोकशी का केस कैसे दर्ज कराते. इसपर उन्हें और कई लोगों को धमकी दी गई. धमकी देने के बाद भीड़ उग्र हो गई थी.
इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने भीड़ को उकसाया था. उन्होंने कहा कि अगर लोग नहीं हटे तो मैं गोली चला दूंगा. इसके बाद ही भीड़ हिंसक हो गई और 600 आदमियों को नियंत्रित करने के लिए 30 पुलिसवाले काफी नहीं थे.
बता दें गोली चलाने का आरोप जीतेंद्र फौजी पर है. जीतेंद्र सेना में काम करता है. मामला सामने आने के बाद यूपी एसटीएफ जीतेंद्र को गिरफ्तार करने जम्मू कश्मीर गई थी जिसके बाद सेना ने उसे एसटीएफ के हवाले कर दिया. मामले को लेकर एसटीएफ लगातार जीतेंद्र से पूछताछ कर रही है.
जीतेंद्र को लेकर सेना ने बयान जारी कर कहा था कि जांच में पूरा सहयोग किया जाएगा. जीतेंद्र फौजी 22 राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा है और जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात था. वह 15 दिन की छुट्टी लेकर अपने गांव आया हुआ था.
ऐसे हुई थी हिंसा, आगजनी और इंस्पेक्टर की हत्या
3 दिसंबर को स्याना थानाक्षेत्र के महाव गांव के एक खेत में गायों के अवशेष मिले थे. ग्रामीणों ने वहां हिंदूवादी संगठनों के नेताओं को बुला लिया. आरोप है कि बजरंगदल के जिला संयोजक योगेश राज और भारतीय जनता युवा मोर्चा के स्याना नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने ग्रामीणों का नेतृत्व करते हुए अवशेषों को ट्रॉली में लादा और चिंगरावठी चौकी पर ले आये.
बुलंदशहर-गढ़ हाईवे जाम करके भीड़ प्रदर्शन करने लगी. मौके पर पहुंची पुलिस ने जब जाम खुलवाने की कोशिश की तब पुलिस के ऊपर पथराव किया गया. इसी दौरान एक प्रदर्शनकारी सुमित को गोली लगी जिसके बाद स्याना के प्रभारी निरीक्षक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. भीड़ ने उस दौरान जमकर गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की.
पुलिस ने बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को मुख्य आरोपी बनाते हुए केस दर्ज किया था मगर हिंदूवादी संगठनों से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है.
बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या मामले में तब से लेकर अबतक
एबीपी न्यूज वेब डेस्क
Updated at:
19 Dec 2018 12:47 PM (IST)
बता दें बुलंदशहर हिंसा में पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं. उनमें से एक मामला गोकशी और दूसरा हत्या का है. बुलंदशहर में कथित तौर पर गोवंशी जानवरों के अवशेष मिलने के बाद हिंसा भड़क गई थी. उपद्रव को नियंत्रण में करने पहुंची पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध को गोली मार दी गई. गोली इंस्पेक्टर सुबोध के सिर में लगी थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.
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